हल्द्वानी हिंसा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे कि इतने संवेदनशील इलाका होने के बावजूद भी यहां कार्रवाई करने में जल्दी क्यों की गई। यहां तक कि कांग्रेस के स्थानीय विधायक ने तो सीधे आरोप लगाए कि अधिकारियों की लापरवाही का अंजाम ही हल्द्वानी हिंसा है। लेकिन अब हिंसा के दो दिन बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
पांच बार इनपुट के बाद भी अधिकारियों ने नहीं ली सुध
हिंसा की आग में हल्द्वानी शहर के जलने, पांच लोगों की मौत और सैकड़ों लोगों के घायल होने के बाद अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हिंसा के दो दिन बाद खुलासा हुआ है कि एलआईयू ने प्रशासन को एक नहीं दो नहीं पांच बार ऐसी घटना होने के इनपुट दिए थे। लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
इनपुट को दरकिनार कर की गई कार्रवाई
एलआईयू ने प्रशासन को 31 जनवरी 2024 को दो बार, दो फरवरी 2024 को भी दो बार और तीन फरवरी 2024 को एक बार वबभूलपुरा क्षेत्र में हिंसा और बवाल की चेतावनी दी थी। एलआईयू ने 31 जनवरी 2024 को जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के कार्यकर्ताओं द्वारा आयुक्त कुमायूं मण्डल से वार्ता के दृष्टिगत अलर्ट रहने और बनभूलपुरा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण मस्जिद, मदरसा ध्वस्त किए जाने की स्थिति में भारी विरोध किए जाने की संभावना जताई थी।
कार्रवाई से पहले इलाके का किया जाए ड्रोन सर्वे
दो फरवरी 2024 को एलआईयू ने अतिक्रमण के धवस्तीकरण की कार्रवाई को करने के लिए सुबह का समय सही बताया था। इसके साथ ही इस कार्रवाई से पहले इलाके का ड्रोन से सर्वे कराए जाने की बात कही थी। इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में भारी पुलिसबल तैनात करने को कहा था। इसके साथ ही एलआईयू ने धार्मिक स्थल के अंदर पवित्र किताब है या नहीं इसका पता लगाने के लिए कहा था। अगर किताब है तो उसे सम्मान पूर्वक संबंधी मौलवी के सुपुर्द किए जाने को कहा था।
आंदोलन के उग्र होने की दी थी चेतावनी
तीन फरवरी 2024 को एलआईयू ने फिर से चेतावनी दी थी कि अतिक्रमण के धवस्तीकरण की कार्रवाई का नोटिस दिए जाने के साथ ही धार्मिक स्थलों की प्रस्तावित ध्वस्तीकरण में विरोध होने की संभावना जताई थी। इसके साथ ही इस कार्य में किसी ना किसी तरह बाधा उत्पन्न किए जान की बात भी कही थी। इसके साथ ही विरोध में अतिक्रमणरोधी की कार्यवाही के दौरान योजनाबद्ध रूप से मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को आन्दोलन में आगे रखे जाने पर बल प्रयोग की स्थिति में आन्दोलन के उग्र होने की चेतावनी दी गई थी।
आखिर क्यों नहीं दिया गया चेतावनी पर ध्यान ?
एलआईयू के इतने बार चेताने के बाद भी प्रशासन और अधिकारियों ने इसे अनदेखा क्यों किया। इसके साथ ही यहां सवाल उठता है कि इनपुट मिलने के बाद भी क्यों प्रशासन ने बिना तैयारी के और जल्दबाजी में अतिक्रमण के धवस्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम दिया ? सबसे बड़ा सवाल यहां पर ये उठ रहा है कि हिंसा की आग में जल गए हल्द्वानी शहर और मारे गए लोगों का जिम्मेदार कौन है ?