UKSSSC पेपर लीक मामले में पकड़ा गया भाजपा नेता और जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह का मायाजाल बड़े विस्तार वाला निकला। हाकम सिंह के इस मायाजाल में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर मौजूदा डीजीपी अशोक कुमार तक फंसे दिखते हैं। हाकम सिंह के इसी मायाजाल को देखने के बाद समझा जा सकता है कि राज्य में विधायिका से लेकर अफसरशाही तक उसकी जड़ें कितनी गहरी हैं और वो क्यों अब तक बचता रहा है। हालांकि किसी के साथ किसी की तस्वीर होने से कोई दावा नहीं हो सकता है लेकिन कई बार एक ही फ्रेम में मौजूद तस्वीरों को देखकर भी कई कयास लगा लिए जाते हैं। खैर, ये सब बातें जांच का विषय हो सकती है लेकिन मौजूदा वक्त में चर्चा का विषय तो बनी ही हुईं हैं।
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त्रिवेंद्र से नजदीकियां?
एक बार फिर समझिए कि किसी के साथ किसी की फोटो होने से कोई कयास नहीं लगा सकते लेकिन कई बार एक तस्वीर ही 1000 शब्दों का काम कर देती है। पेपर लीक मामले में पकड़े गए हाकम सिंह की सोशल मीडिया अकाउंट की गैलरी में उसने कई ऐसी तस्वीरें डाल रखी हैं जिनमें वो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ दिख रहा है। कई तस्वीरों में इन दोनों की आत्मीयता झलकती है और लगता है कि त्रिवेंद्र और हाकम एक दूसरे को बेहतर तरीके से जानते हैं। त्रिवेंद्र बतौर सीएम भी हाकम सिंह से कई बार मिलते रहें हैं। हाकम सिंह के साथ त्रिवेंद्र की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
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डीजीपी अशोक कुमार भी बने मेहमान
हाकम सिंह रसूखदार था अब इसमें किसी को कोई शक नहीं है लेकिन राज्य का एक बड़ा पुलिस अफसर उसकी मेजबानी स्वीकार करें ये कुछ अजीब लगता है। अशोक कुमार अपने परिवार के साथ हाकम सिंह के रिजार्ट पहुंचे थे। हैरानी इस बात की भी होती है कि पुलिस के किसी अफसर ने उन्हें हाकम सिंह के रिजार्ट में जाने से रोकने की कोशिश भी नहीं की और न ही अशोक कुमार ने हाकम के साथ फोटो खिंचवाने में कोई गुरेज किया। जबकि अशोक कुमार उस समय पुलिस विभाग में एक जिम्मेदार पद पर थे। आपको डीजीपी अशोक कुमार के साथ हाकम सिंह की फोटो दिखाएं इसके पहले आपको एक और जानकारी देना जरूरी है। दरअसल उत्तराखंड में तकरीबन तीन साल पहले फारेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा हुई थी। इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर नकल का मामला सामने आया था। कुछ कोचिंग संस्थानों के ऊपर कार्रवाई हुई थी। इसी फारेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले में भी हाकम सिंह का नाम सामने आया था। हाकम को तब कोचिंग संस्थान के संचालक के रूप में पहचाना गया था। हरिद्वार के मंगलोर में फरवरी 2020 में हाकम सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ।
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अब आप तारीखों को देखिए तो जिस शख्स पर 2020 में फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज हुई 2022 की जनवरी में उसी शख्स के रिजार्ट में राज्य का सबसे बड़ा पुलिस अफसर पहुंचा। अब इसे महज संयोग माना जाए या कुछ और लेकिन इस पूरे मामले में स्थानीय पुलिस और खास तौर पर लोकल इंटेलिजेंस की चूक तो नजर आती ही है। कुछ चूक डीजीपी साहब की भी दिखती है। क्या डीजीपी को नहीं पता था कि वो जिस व्यक्ति के साथ तस्वीरें खिंचवा रहें हैं उसके ऊपर एफआईआर हो चुकी है।

वैसे डीजीपी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस महकमा सतर्क हो गया और उसने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक संदेश लिखकर स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है कि किसी भी व्यक्ति के साथ तस्वीर होने से किसी अपराधी का अपराध कम नहीं होता है।
अपराधी हमारे लिए केवल अपराधी है। उसकी भाषा, जाति, धर्म या क्षेत्र से अपराधी का अपराध कम नहीं हो जाता, ना ही किसी के साथ फोटो खिंचवाने से कोई अपराधी पुलिस से बच सकता है।
कानून हमेशा से सर्वाेपरि रहा है और हमेशा रहेगा।#UttarakhandPolice pic.twitter.com/dUK48UdyfK
— Ashok Kumar IPS (@AshokKumar_IPS) August 17, 2022
मंंत्रियों की छत्रछाया, भाजपाइयों का खास
हाकम सिंह की सोशल मीडिया की फोटो गैलरी ऐसी ही न जाने कितनी तस्वीरों से भरी पड़ी है। राज्य के कई बड़े बीजेपी नेता, कैबिनेट मंत्री, संगठन के पदाधिकारी, यहां तक कि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भी उसकी फोटो है। इन तस्वीरों को देखकर साफ हो जाता है कि हाकम सिंह की पहुंच कहां तक थी। पार्टी के सत्ता में रहते हुए उसने अपनी पहुंच का फायदा उठाया या नहीं इसकी तफ्तीश होनी चाहिए। हालांकि यहां एक बात फिर से याद दिला दें कि हाकम सिंह के खिलाफ मंगलोर में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बीजेपी के नेता और तमाम पदाधिकारी उससे मिलते जुलते रहें हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच को लेकर आम लोगों के मन में शंका जरूर हो सकती है लेकिन इसी बीच मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ जरूर की जानी चाहिए कि उन्होंने एक बड़ी मछली को पकड़ने की प्रेरणा तो एसटीएफ को दी है। अब मगरमच्छ पकड़ में आ जाए तो क्या कहने।