पंतनगर विश्वविद्यालय के 34 वें दीक्षांत समारोह में एनएसए अजीत डोभाल शामिल होने पहुंचे। एनएसए अजीत डोभाल के यहां पहुंचते ही यहां छात्रों में भारी उत्साह नजर आया। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कोडॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की।
पंतनगर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे एनएसए अजीत डोभाल
एनएसए अजीत डोभाल पंतनगर विश्वविद्यालय के 34 वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे। उनके पंतनगर विश्वविद्यालय में पहुंचते ही छात्रों में भारी उत्साह नजर आया। उनकी मौजूदगी ने छात्रों में जोश और उत्साह भर दिया। इस समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह के साथ ही कृषि मंत्री गणेश जोशी, डीजी आईसीएआर डाॅ हिमांशु पाठक व डेयर सचिव भी मौजूद रहे।
2503 विद्यार्थियों दी गई उपाधि
पंतनगर विश्वविद्यालय के 34 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर गुरूवार को विद्वत शोभा यात्रा का दीक्षांत पंडाल में प्रवेश हुआ। इस यात्रा में विवि के लगभग चार सौ प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया। दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक वर्ष 2020-21 व 2021-22 के यूजी, पीजी और पीएचडी के विद्यार्थियों को उपाधि दी गई।
शैक्षणिक वर्ष 2020-21 व 2021-22 के कुल 2503 विद्यार्थियों उपाधि दी गई। जिसमें यूजी के 1269, पीजी के 963 व पीएचडी के 271 विद्यार्थियों को उपाधि दी गई। इसके साथ ही 26 स्वर्ण पदक, 22 रजत पदक व 22 कास्य पदक सहित विभिन्न अवार्ड भी प्रदान किए गए।
इस बार फिर छात्राओं ने मारी बाजी
राज्यपाल ने एनएसए अजीत डोभाल को दी डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि
NSA ने भारत को विश्व में खाद्य उत्पादकता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने का किया आह्वान
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि चीन में खेती कम फिर भी उत्पादकता हमसे ज्यादा है। चीन में 5 फ़ीसदी क्षेत्रफल में ही खेती होती है फिर भी चीन की हम से 22% उत्पादकता अधिक है। उन्होंने अगले 10 वर्ष में भारत को विश्व में खाद्य उत्पादकता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पंत विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र का गौरव है।
विवि ने देश की सेवा उस समय पर की थी जब हमारा देश आजाद हुआ था। जब भारत का विभाजन हुआ तो 22 मिलियन हेक्टर भूमि पाकिस्तान में चली गई। जो कि उपजाऊ भूमि थी। जिससे 35 करोड़ की जनता के लिए अन्न पर्याप्त नहीं था।उन्होंने बताया कि देश में आजादी के समय 50 मिलियन टन खाद्यान उत्पादन हुआ था। जो कि आज बढ़कर 340 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है।
देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने में शोध कर्ताओं का अहम योगदान
देश खाद्यान्न में पंत विवि की वजह से न केवल आत्मनिर्भर हुआ, बल्कि निर्यात भी कर रहा है। इसमें इस विश्वविद्यालय का और यहां के शोध कर्ताओं का अहम योगदान है। 1960 से विश्वविद्यालय से विज्ञानी निकल रहे हैं। जिस वक्त देश आजाद हुआ इस वक्त चीन और भारत का उत्पादन बराबर था।
वर्तमान में भारत में 1 .7 मिलियन स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में और चीन ने 1.4 मिलियन स्क्वायर भूमि में खेती होती है, लेकिन चीन का उत्पादन हमारे यहां से तीन गुना ज्यादा होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन में भारत के कृषि भूमि से कम कृषि भूमि है। लेकिन फिर भी वहां उत्पादन ज्यादा है। हमें अपना प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा की आप सब इसके सैनिक हैं जो उत्पादकता को बढ़ाएंगे।