उत्तराखंड में एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर एक नई पहल होने जा रही है। अभी तक एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होती आई है, लेकिन अब राज्य सरकार की पहल पर इस पढ़ाई को हिंदी में कराने जा रही है। चिकित्सा विभाग द्वारा कॉलेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई कराने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना आरंभ कर दिया हैं जिसके के लिए एक कमेटी का गठन किया हैं। यह कमेटी 15 दिन के अंदर पाठ्यक्रम को लेकर सरकार को अपनी पहली रिपोर्ट सौंपेगी।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने एमबीबीएस छात्रों की हिन्दी में पढ़ाई के लिए घोषणा की थी। अब इस घोषणा को धरातल पर लाने के लिए राज्य में कवायद शुरू हो गई है। दैनिक हिन्दुस्तान समाचार के मुताबिक इसके लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर एमएसएम रावत की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉक्टर आशुतोष सयाना द्वारा गठित कमेटी में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के एनॉटामी विभाग के प्रोफेसर डॉ एसके सिंह, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के ही पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ हरिशंकर पांडेय और दून मेडिकल कॉलेज के रेडियोथैरेपी विभाग के प्रोफेसर डॉ दौलत सिंह को सदस्य सचिव बनाया गया है।
मध्य प्रदेश से लेंगे मदद
गठित की गई कमेटी 15 दिन के अंदर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। यह कमेटी इस बीच मध्य प्रदेश का दौरा कर वहां चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से तैयार एमबीबीएस के हिन्दी पाठ्यक्रम का अध्ययन भी करेगी। बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बना था जहां, मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराई जा रही है। एमबीबीएस के लिए छात्रों के हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के लिए विकल्प मौजूद रहेगा।
स्वास्थ्य महानिदेशक और चिकित्सा शिक्षा निदेशक रहे डॉ आरपी भट्ट मुताबिक एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराना एक बड़ा विचार है। इस पहल से मरीजों को तो फायदा हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च आदि के काम प्रभावित हो सकते हैं। यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है और पाठ्यक्रम तैयार करते समय यह ध्यान रखना होगा कि भाषा की वजह से नई पीढ़ी के डॉक्टरों की क्षमता प्रभावित न हो।
प्रदेश में हैं चार मेडिकल कॉलेज
उत्तराखंड में वर्तमान में चार राजकीय मेडिकल कालेज संचालित हो रहे हैं। जिसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून, श्रीनगर, हल्द्वानी और अल्मोड़ा कॉलेज शामिल है।