नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने दो चीनी महिलाओं समेत 12 लोगों के एक ग्रुप को गिरफ्तार किया है। इन सभी ने एक एप्प के जरिए करीब 40 हजार लोगों को ठगी का शिकार बनाया है। एप्प के जरिए ये लोग एक लुभावनी मार्केटिंग स्कीम लोगों को बता रहे थे, जिसमें मालवेयर था। साइबर सेल के डीसीपी अन्येष रॉय के अनुसार इन लोगों ने करीब दो महीनों में इन 40 हजार लोगों को ठगा। गिरफ्तार लोगों में 27 साल की चैहोंग डेंग ड्योंग और 54 साल की वूर जिआझी चीन के सिन्हुआ प्रांत की रहने वाली हैं। गिरफ्तार लोगों के पास से करीब 25 लाख रुपये कैश बरामद किया गया हे। करीब 4.75 करोड़ रुपये कई बैंक खातों में ब्लॉक किए गए हैं। इस मामले में कई और लोग भी गिरफ्तार हो सकते हैं।
ठगी की शुरुआत होती थी एक ऐप डाउनलोड करवाने से। सबसे पहले वॉट्सऐप मैसेज के जरिए टारगेट लोगों को एक लिंक सर्कुलेट किया जाता था। इस मैसेज में एनक्रिप्टेड शॉर्ट यूआरएल होता था, जिसके जरिए newworld.apk ऐप डाउनलोड होता था। डीसीपी रॉय के मुताबिक इस यूआरएल को फॉरेन्सिक टीम ने चेक करने के बाद कहा था कि ये एक मालवेयर है। इस ऐप पर रोजाना 30 मिनट बिताने वालों को 3000 रुपये तक का रोजाना कमीशन देने का ऑफर दिया जाता था। उन्हें बताया जाता था कि उनका काम फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर इंटरनेट सेलेब्रिटीज को प्रमोट करने का रहेगा।
एनबीटी के अनुसार जरिए फेसबुक, यूट्यूब आदि पर इंटरनेट सेलेब्रिटी का प्रमोशन करने पर यूजर के अकाउंट में 6 रुपये डाल दिए जाते थे। और अधिक पैसे कमाने के लिए वीआईपी अकाउंट लेना होता था, लेकिन इनके लिए यूजर को पैसे देने होते थे। पुलिस के अनुसार एक महिला ने आरोप लगाया है कि इस ऐप के जरिए उससे करीब 50 हजार रुपयों की ठगी की गई है। महिला ने बताया कि उन्हें इस ऐप का लिंक एक सहकर्मी ने भेजा था।
डीसीपी रॉय ने बताया कि जो ऐप डाउनलोड करवाया जाता था वह बहुत सारी खतरनाक जानकारियां हासिल कर लेता था। इसमें नए सॉफ्टवेयर पैकेज इंस्टॉल करने की परमिशन, फोटो लेने और वीडियो बनाते की परमिशन, एसडीकार्ड को रीड करने, बदलने या उसका कंटेंट डिलीट करने की परमिशन भी ये ऐप ले लेता था। यह यूजर के फोनबुक और मैसेज को भी पढ़ लेता था।
यह ऐप QQ ब्राउजर भी डाउनलोड कर देता था, जिसे जून 2020 में ही भारत सरकार ने बैन कर दिया है। ऐप और वेबसाइट के आईपी एड्रेस चीनी कंपनियों के पाए गए। छानबीन से पता चला है कि फ्रॉड के कमाए गए पैसे अलग-अलग प्राइवेट कंपनियों के बैंक खातों में जाते थे। इन कंपनियों के पते और उनके भारतीय डायरेक्टर्स संदेहास्पद पाए गए। कुछ कंपनियों के मुख्य डायरेक्टर चीनी पाए गए।