देहरादून: इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बेहद चौंकानी वाली और चिंता बढ़ाने वाली है। क्लाइमेट चेंज जिस तेजी से हो रहा है, उससे अगले कुछ सालों में मैदानी इलाकों जैसी बीमारियां पहाड़ी जिलों में भी होने लगेंगी। कुछ पहाड़ी जिलों में इस तरह के बदलाव अभी दस्तक देने लगे हैं। जबकि, हरिद्वार जैसे मैदानी जिले में स्थितियां काबू से बाहर होने जैसे संकेत हैं।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की पांचवीं आकलन रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के जो संकेत मिल रहे हैं, उनके प्रति अभी से सचेत रहने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं भविष्य में आने वाली इन चुनौतयों के हिसाब से अभी से तैयारी करनी होगी। यह पूरी कसरत भविष्य की चिंताओं को लेकर की जा रही है। साथ जलवायु परिवर्तन संवेदनशीलता और जोखिम मूल्यांकन का आकलन जिला और ब्लॉक स्तर पर भी किया जा रहा है।
इन बिंदुओं पर तैयार की गई रिपोर्ट
1. अतिसार/पेचिश से पीड़ित व्यक्ति.
2. शिशु मृत्यु दर.
3. 5 से कम मातृ मृत्यु.
4. क्रूड मृत्यु दर.
5. क्रूड जन्म दर.
6. कुल प्रजनन दर.
7. एनोफिलीज मच्छर सालाना मलेरिया का कारण बनता है.
8. हीट इंडेक्स.
9. तापमान आर्द्रता सूचकांक.
इस बदलाव के कारण जन्म दर एक वर्ष में किसी विशेष क्षेत्र में प्रति 1000 जनसंख्या पर कितने नए बच्चों का जन्म हुआ है। मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार 13 और 12 रैंक वाले दो जिले हरिद्वार और टिहरी गढ़वाल सबसे कमजोर हैं। यानी आने वाले कुछ सालों में इन जिलों में मलेरिया, डेंगू या अन्य तरह की बीमारियां होने का खतरा सबसे ज्यादा है।
रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और अल्मोड़ा 1, 2, 3 और 4 रैंक वाले सबसे कम संवेदनशील जिले हैं। लेकिन, अगर लोगों ने अपनी आदत में सुधार नहीं किया या फिर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो संकट बढ़ सकता है। केवल बर्फ पिघलने, असमान बारिश और अन्य समस्याएं ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ना तय है।
डायरिया से पीड़ित व्यक्तियों की अधिक संख्या के कारण उच्च शिशु और 5 से कम मृत्यु दर वाले जिलों में शामिल हैं। यही दो कारण हैं, जो हरिद्वार और टिहरी गढ़वाल को सबसे कमजोर बनाते हैं। कम शिशु और 5 से कम मृत्यु दर, अपेक्षाकृत कम जन्म दर और कम प्रजनन दर है, जो रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और अल्मोड़ा को सबसे कम असुरक्षित बनाती है।
कुल मिलाकर इस रिपोर्ट में यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि क्लाइमेट चेंज के कारण होने वाले बदलावों से हेल्थ पर किस तरह से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। क्लाइमेंट चेंज के कारण कई तरह की समस्याएं हो रही है। उनमें बीमारियों के संक्रमण का खतरा भी एक है। इस रिसर्च में बीमारियों की जानकारी जुटाई जा रही है। रिपोर्ट के अगले 50 साल के हिसाब से तैयार की जा रही है। यह देखा जा रहा है कि वर्तमान के बदलाव भविष्य में कितने घातक हो सकते हैं।
जिला स्वास्थ्य जोखिम (वर्तमान/आधारभूत)
अल्मोड़ा वेरी लो
बागेश्वर लो
चमोली वेरी लो
चंपावत मीडियम
देहरादून मीडियम
हरिद्वार वेरी हाई
नैनीताल लो
पौड़ी गढ़वाल हाई
पिथौरागढ़ वेरी लो
रुद्रप्रयाग वेरी लो
टिहरी गढ़वाल वेरी हाई
उधम सिंह नगर हाई
उत्तरकाशी मीडियम