शिक्षा विभाग में चहेतों के लिए नियम और कानून सब ताख पर रख दिए जाते हैं। इसका उदाहरण है हाल ही में दो शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति। दरअसल नैनीताल और उत्तरकाशी के दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों से दो शिक्षकों को रामनगर बोर्ड में शोध अधिकारी के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया।
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इनके हुए ट्रांसफर
बताया जा रहा है कि शोध अधिकारी के पद पर जो टीचर ट्रांसफर हुए हैं उनमें से एक शैलेंद्र जोशी नैनीताल के दुर्गम इलाके में एक स्कूल में तैनात थे। उन्हें वहां से निकाल कर रामनगर बोर्ड में लाया गया है। वहीं रामचंद्र पांडेय नाम के एक टीचर का उत्तरकाशी से बोर्ड में ट्रांसफर किया गया है। शैलेंद्र जोशी पहले शिक्षा निदेशालय, देहरादून के शिकायत प्रकोष्ठ में तैनात थे। हालांकि वो बाद में शिक्षा मंत्री के स्टाफ के रूप में कार्यरत हो गए थे। बताया जा रहा है कि तभी से शैलेंद्र जोशी, शिक्षा मंत्री के करीबी हो गए।
सिफारिश बिना काम नहीं
उत्तराखंड का शिक्षा विभाग पूरी तरह से सिफारशी विभाग बन चुका है। आपके पास सिफारिश नहीं है तो कोई कानून कोई नियम कोई अफसर कोई मंत्री आपकी बात नहीं सुनेगा। हैरानी की बात ये है कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिनको वास्तविक परेशानियां हैं और गुहार लगाकर थक चुके हैं लेकिन मंत्री से लेकर अफसर तक कोई सुनवाई नहीं होती लेकिन पहुंच और ‘सेटिंग’ रखने वालों का हर काम विभाग में बिना किसी रुकावट के हो जाता है। कई ऐसे शिक्षक भी हैं जो अपने इलाज के लिए देहरादून आना चाहते हैं लेकिन विभाग उनके तबादले नहीं करता।