धामी सरकार का आज एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। आज सीएम धामी ने एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनवाई। इसके साथ ही उन्होंने कई घोषणाएं भी की। लेकिन धामी सरकार के एक साल के कार्यकाल में कुछ अधिकारियों ने ऐसा काम किया जो उनकी छवि पर दाग बनकर रह गया।
एक साल के कार्यकाल में दो अधिकारियों ने लगाया दाग
23 मार्च को धामी सरकार के कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है। जिसमें कई अच्छी बातें हुई तो कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई जिसने धामी सरकार के कार्यकाल पर दाग लगा दिया हैं। हम बात कर रहे हैं आठ फरवरी और नौ फरवरी की घटना की। इसमें राजधानी देहरादून जिले के दो बड़े अधिकारियों डीएम और एसएसपी ने धामी सरकार की छवि पर कभी ना जाने वाला दाग लगा दिया।
लाठीचार्ज बना कभी ना जाने वाला दाग
आठ फरवरी की रात युवाओं को जबरन धरने से उठाया गया। जिसके बाद राजधानी दून में युवाओं ने विरोध दर्ज करने के लिए प्रदर्शन किया था। लेकिन नौ फरवरी को जो हुआ उसने युवाओं को लगभग धामी सरकार के खिलाफ कर दिया।
ना सिर्फ युवाओं को सरकार के खिलाफ किया बल्कि विपक्ष को भी खुलकर बोलने का मौका दे दिया। नौ फरवरी को पुलिस युवाओं का प्रदर्शन खत्म करवाना चाहती थी। इसी बीच कुछ अराजक तत्वों ने पुलिस पर पत्थरबाजी कर दी थी।
तो इसके जवाब में पुलिस ने युवाओं पर लाठीचार्ज का आदेश दे दिया। युवाओं पर लाठीचार्ज तो हुआ लेकिन ये बात अब तक पता नहीं चल पाई कि किस अधिकारी के आदेश पर लाठीचार्ज किया गया। इस मामले में इतना बवाल होने के बाद भी अधिकारी ये जवाब नहीं दे पाए कि किस के आदेश पर लाठीचार्ज किया गया था।
डीएम और एसएसपी रहे फेल, नहीं लगा पाए अंदाजा
जिले के दो बड़े अधिकारी आठ फरवरी की रात हुई घटना से सबक नहीं ले पाए। आठ फरवरी की घटना से सबक ना लेने से राजधानी दून में नौ फरवरी को जो हुआ उसको ढाल बनाकर विपक्ष ने भी सरकार पर खूब निशाना साधा। जिसके चलते प्रदेश का माहौल काफी गरमा गया था।
डीएम और एसएसपी इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाए कि युवाओं पर किए गए लाठीचार्ज का अंजाम क्या होगा। इस लाठीचार्ज ने धामी सरकार 2.0 के कार्यकाल पर जो दाग लगाया वो इतिहास बन गया। आने वाले समय में भी शायद ही इस दाग को धामी सरकार हटा पाए।