देहरादून: उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं कोई नई बात नहीं है, लेकिन जिस तेजी से पिछले कुछ दिनों में लैंडस्लाइड की घटनाएं देखने को मिली हैं। वो तस्वीरें बेहद चिंताजनक हैं। ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिनको देखकर डर लगता है। ये डरावनी तस्वीरें उत्तराखंड के लगभग हर कोने से आ रही हैं। सवाल यह है कि आखिर इन दरकते पहाड़ों का राज क्या है? क्यों ये पहाड़ भरभराकर गिर रहे हैं? ऐसा क्या है कि पूरे के पूरे पहाड़ कुछ ही सेकेंड में बिखर रहे हैं?
दरअसल, उत्तराखंड पहले से ही संवेदनशील रहा है। हिमालय के पहाड़ नए पहाड़ों में गिन जाते हैं। इस लिहाज से ये बेहद कच्चे भी होते हैं। इनमें बदलाव भी होता रहता है। उसके पीछे भूकंप भी एक बड़ा कारण है। साथ ही हिमस्खलन जैसी घटनाएं और बड़ी-बड़ी जलविद्युत योजनाओं के साथ ही बेतररतीब निर्माण और पहाड़ों में ब्लास्ट भी इसका कारण है।
एक और चिंता की बात यामने आ रहा है। इसको लेकर तमात खबरें और रिपोर्टें भी सामने आ रही हैं। भू वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड के पहाड़ों पर डराने वाला खुलासा किया है। खुलासे के अनुसार पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र निर्धारित जगह से खिसकने लगा है। आबादी वाले पहाड़ खोखले हो रहे हैं। इसके चलते भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में से घटनाएं और तेजी हो सकती हैं।
शोध के अनुसार यह स्थिति केवल उत्तराखंड की नहीं हैं। बल्कि, हिमाचल, पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों में बसे पहाड़ी इलाकों और नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों में भी ऐसी घटनाओं के बढ़ने की संभावना ज्यादा है। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ों की टो कटिंग और ज्यादा बारिश से स्थितियां खतरनाक हो रही हैं। पहाड़ों पर लगातार हो रहे निर्माण के कारण पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र डिस्टर्ब हो गया है।
कहा गया है कि पहाड़ तभी टिका रह सकता है, जब उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर हो। पहाड़ों पर बेवजह बोझ और तोड़फोड़ से पहाड़ को स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है। नतीजा पहाड़ खिसकने लगते हैं, लैंडस्लाइड की घटनाएं होती हैं। उत्तराखंड-हिमाचल में भूस्खलन और पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं बढ़ रही हैं। आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी।