वाराणसी जिला अदालत ने मंगलवार को अपने अहम फैसले में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े सभी सात मामलों की वह एक साथ सुनवाई करेगी। ये केस ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग मिलने, उसकी वैज्ञानिक जांच और परिसर का सर्वेक्षण, श्री विश्वनाथ जी को अपने अतिशय क्षेत्र पर अधिकार, माता श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार जैसे मामलों से जुड़े हैं। अदालत जिन सात मामलों की सुनवाई एक साथ करेगी, उन पर एक नजर डालते हैं-
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हिन्दू देवी- देवता की पूजा का अधिकार
ज्ञानवापी परिसर को काशी विश्वनाथ का मूल मंदिर बताते हुए आदि विश्वेश्वरनाथ, श्रृंगार गौरी सहित अन्य हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने का अधिकार मांगा गया है। यह अर्जी वकील हरिशंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री की ओर से दायर की गई है। इसी मामले से जुड़ी एक दूसरी अर्जी महाराष्ट्र के सुरेश चव्हाण ने दायर की है। चव्हाण ने अपनी अर्जी में ज्ञानवापी परिसर स्थित आदि विश्वेश्वरनाथ को आराध्य देव बताते हुए उनकी पूजा करने का अधिकार मांगा है।
तीसरा मामला ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर की ओर से शीतला माता मंदिर के महंत पंडित शिव प्रसाद पांडेय ने दावा दाखिल किया है। मीरघाट निवासी सितेंद्र चौधरी और अन्य ने नंदीजी महाराज की ओर से दावा दाखिल किया है। लखनऊ निवासी सत्यम त्रिपाठी एवं अन्य ने अपनी अर्जी में विश्वेश्वरनाथ एवं अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन का अधिकार मांगा है।
आदि विश्वेश्वर की पूजा की मांग
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग नुमा आकृति को आदि विश्वेश्वर बताते हुए पूजा-पाठ एवं श्रृंगार की मांग की है। 24 मई 2022 को आदि विश्वेश्वर की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ के किरन सिंह विशेन ने दावा दाखिल करते हुए ज्ञानवापी परिसर आदि विश्वेश्वर को सौंपने की मांग की।