राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी करार किए गए आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने बेल दे दी है. जी हां बता दें कि 30 साल सलाखों के पीछे कैद रहने के बाद अब आरोपी खुले आसमान के नीचे सांस लेगा।सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही राज्यपाल के तमिलनाडु सरकार की सितंबर 2018 की रिहाई की सिफारिश पर फैसला न लेने पर सवाल उठाया है. आपको बता दें कि आरोपी पेरारीवलन को पहले सजा ए मौत और फिर इसे बदल कर उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
32 साल से था जेल में बंद
आपको बता दें कि कि पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड मामले में पेरारीवलन को दोषी करार किया गया था वो पिछले 32 साल से सलाखों के पीछे बंद है लेकिन अब वो 32 साल बाद खुले आसमान के नीचे सांस लेगा. रिहाई की सिफारिश पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या इस संबंध में राज्य के राज्यपाल का कोई विवेक है? राज्यपाल द्वारा 2 साल और 5 महीने बाद राष्ट्रपति को राज्य सरकार की सिफारिश भेजने की भी सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की.
सजा ए मौत की सजा को उम्र कैद में बदला गया
गौर हो कि टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पेरारीवलन को मौत की सजा सुनाई थी. क्षमा याचिका दायर करने के बाद आरोपी की सजा ए मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया था. तमिलनाडु सरकार ने उसकी उम्र कैद को भी खत्म कर रिहा करने के लिए रेजोल्यूशन पास किया था. अभी ये मामला गवर्नर और राष्ट्रपति के पास लंबित है। अब सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवलन को जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि जेल में रहते हुए उसके आचरण, शैक्षिक योग्यता और बीमारी के आधार पर जमानत दी जा रही है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यहां यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है कि राज्य सरकार द्वारा सजा में माफी की मंजूरी के बाद भी राज्यपाल याचिका पर कोई निर्णय नही ले रहे है. कहा कि ऐसे मामलों में ऐसा नहीं हो सकता कि कोई आदेश पारित किए बिना राज्यपाल ऐसे ही बिना निर्णय लिए बैठे रहें. कहा है कि हम जमानत पर रिहाई का आदेश पारित करेंगे. वहीं पेरारीवलन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल वह परोल पर अपने घर पर है. परोल की शर्तों के मुताबिक वह घर से बाहर नही निकल सकते. किसी से मिल नही सकते.