कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम तो छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उन्होनें हाल ही में अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा की थी और कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी। बता दें कि आचार्य प्रमोद पीएम मोदी से मुलाकात भी कर चुके हैं और कई मौकों पर कांग्रेस पर सवाल खड़े कर चुके हैं। वहीं अब पार्टी से छह साल के लिए निकाले जाने पर उनकी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होनें राहुल गांधी को टैग किया है।
प्रमोद कृष्णम की प्रतिक्रिया
एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए प्रमोद कृष्णम ने लिखा कि राम और राष्ट्र पर समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होनें ये बात राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कही। वहीं उनके इस पोस्ट पर कवि कुमार विश्वास ने रिट्वीट करते हुए विनय-पत्रिका से तुलसीदास की पंक्तियां लिकीं। इन पंक्तियों का अर्थ है कि जो भगवान राम-माता सीता का प्यारा नहीं है उसे करोड़ों शत्रुओं के समान छोड़ देना चाहिए, चाहे वह कितना ही प्यारा क्यों न हो। प्रहलाद ने अपने पिता (हिरण्यकश्यप) को, विभीषण ने अपने भाई (रावण) को और ब्रज-गोपियों ने अपने-अपने पतियों को त्याग दिया था, लेकिन ये सभी आनंद और कल्याण करने वाले हुए।
वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम को अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ बार-बार बयान देने के आरोप में निष्कासित किया गया।
कौन है आचार्य प्रमोद कृष्णम?
बता दें कि आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 2019 में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से लड़ा था, लेकिन वह मोदी लहर के आगे टिक नहीं सके थे और हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, आचार्य प्रमोद 1.8 लाख वोट हासिल करने में सफल हो गए थे। इससे पहले 2014 का लोकसभा चुनाव संभाल से लड़ा था और यहां भी हार का मुंह देखना पड़ा था। आचार्य प्रमोद पहले कांग्रेस की उत्तर प्रदेश सलाहकार परिषद का हिस्सा थे, जिसका गठन पार्टी के लिए यूपी प्रभारी के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा की हेल्प के लिए किया गया था। बताया जाता है कि वह प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में से एक रहे हैं. इसके अलावा सचिन पायलट के भी करीबी माने जाते हैं। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पड़ी दरार के समय आचार्य प्रमोद ने गहलोत को निशाने पर लिया था।