नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कोरोना से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की देखभाल और संरक्षण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत इस संबंध में राज्यों, जिलाधिकारियों, पुलिस, पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। इसमें तय किया गया है कि कोविड से बुरी तरह प्रभावित बच्चों के संरक्षक की भूमिका DM निभाएंगे।
महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा कि जो कदम उठाए जा रहे हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने और सुगम बनाने के लिहाज से प्राथमिक कर्तव्य वाले लोगों की प्रमुख जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं ताकि महामारी के दौरान बच्चों का सर्वश्रेष्ठ हित सुनिश्चित किया जा सके।
मिश्रा ने राज्यों, जिलाधिकारियों, पुलिस, पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों की भूमिकाएं निर्धारित कर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। राज्यों को सर्वेक्षण और संपर्क के माध्यम से संकटग्रस्त बच्चों का पता लगाना होगा और हर बच्चे की प्रोफाइल के साथ डाटाबेस तैयार करना होगा। उन्हें बच्चों की विशेष जरूरतों का विवरण भी लिखना होगा और इसे ‘ट्रैक चाइल्ड पोर्टल’ पर अपलोड करना होगा।
उन्होंने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि बाल देखभाल संस्थानों (CCI) को अस्थाई रूप से ऐसे बच्चों को रखने का जिम्मा दिया जाए जिनके माता-पिता कोविड के कारण अस्वस्थ हैं और उनके परिवार में अन्य कोई संबंधी नहीं है। ऐसे बच्चों को जरूरी मदद दी जाए। उन्होंने ने राज्यों से एक स्थानीय हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने को कहा जिस पर विशेषज्ञ बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहयोग दे सकें।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए एक हलफनामे में कहा है कि राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में 9346 बच्चे ऐसे हैं जो घातक कोरोना संक्रमण की वजह से अपने माता-पिता में से कम से कम एक को खो चुके हैं। इनमें 1700 से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता, दोनों की ही कोरोना वायरस संक्रमण से मृत्यु हो गई है।