राकेश ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि अचानक आए पानी के सैलाब को देख वो सहम गए और अंधेरे सुरंग(एनटीपीसी) में घंटों रॉड लोहे का सरिया पकड़ कर लटके रहे। वो तब तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते रहे जब तक टीमों ने उन्हें रेस्क्सूयन हीं कर लिया। राकेश ने बताया कि ITBP और रेस्क्यू टीम ने रविवार शाम को ऐसे 12 लोगों को NTPC की सुरंग से बाहर निकाला था जिसमे से राकेश भी शामिल थे। जोशीमठ निवासी राकेश को घर लौटा देख परिवार वालों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन राकेश की आपबीती सुन सबके रुह कांप गई।
27 साल के राकेश भट्ट जोशीमठ में बाबा बदरी विशाल के मंदिर से कुछ ही दूरी पर रहते हैं. हादसे के दिन तपोवन में वे सुरंग में काम कर रहे थे। तभी अचानक पानी का सैलाब आया और सुरंग में मिट्टी और मलबे का ढेर लग गया. राकेश ने बताया कि उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आया और झटके में सुरंग में कीचड़ और पानी भर गया. वो कुछ सोच पाते कि पानी का सैलाब कीचड़ के साथ सुरंग में आ घुसा। अंधेरा छा गया। राकेश ने बताया कि रविवार सुबह करीब 10 बजे की घटना थी. राकेश ने बताया कि पानी औऱ कीचड़ का सैलाब जैसे ही सुरंग में घुसा तो वो और बाकी मजदूर लोहे की रॉड के सहारे लटक गए। नीचे सबको मौत दिख रही थी इसलिए जिंदगी बचाने के लिए वो घंटो रोड़ के सहारे लटके रहे।
राकेश ने बताया कि इस बीच एक मजदूर ने किसी तरह अपना मोबाइल देखा तो उसमे नेटवर्क था। उनको जीने की उम्मीद दिखी। उसने तुरंत बाहर अधिकारियों को फोन किया जिसके अंडर वो काम कर रहे थे। सुरंग से मलबा हटाने का काम शुरु हुआ। जवानों के देख मजदूरों की जान में जान आई। राकेश ने बताया कि वो और उनके साथी 6 से 7 घंटे तक सुरंग में लोहे की रॉड से लटके रहे. 7 घंटे तक रोड़ के सहारे लटके रहने से हाथ सुन्न पड़ गए. नाखून नीले पड़ गए थे। शरीर सुन्न हो गया था। उसे लगा था कि वो अब नहीं बचेगा। उसे डर था कि रोड़ छोड़ी तो सीधे मलबे में गिरेगा और मर जाएगा। ये कहते हुए राकेश और उसके परिवार वाले रोने लगे। राकेश ने बताया कि जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था उसकी उम्मीद टूट रही थी और उसे अपने छोटे बेटे की याद आ रही थी। राकेश की आपबीती सुन मां और पत्नी की आंखों से आसूओं का सैलाब उमड़ा। आपको बता दें कि बदरी विशाल मंदिर से 10 कदम दूरी पर ही राकेश का परिवार रहता है। राकेश के परिवार का कहना है कि बदरी विशाल की वजह से ही राकेश मौत से लड़कर आए हैं।