देहरादून : चमोली में आई आपदा ने कई घरों को उजाड़ दिया। कइय़ों को अपनों से दूर कर दिया। आज भी कई परिजन अपनों की तलाश में टनल के बाहर इंतजार में है कि कब टनल के अंतिम छोर तक पहुंचेंगे और कब उनके अपने सही सलामत वापस लौटेंगे। जहां रेस्क्यू चल रहा है वहां भीड़ जमा है। बता दें कि अभी तक 36 शवों को बरामद किया गया है। वहीं रेस्क्यू जारी है। इन सबके बीच उत्तराखंड एसडीआरएफ ने अपने फेसबुक पेज पर एक बुजुर्ग का दर्द बयां करती हुई कुछ लाइनें अपने फेसबुक पेज पर शेयर की है जो की पहाड़ी भाषा में है। एसडीआरएफ ने पक्तियां शेयर की जिसमे लिखा है कि…
ये सब लूछि कि ली ग्याई।
ये जो निरभै आपदा आयी।
ये गदिनों को सुस्याट, हमन नि पछयाण
अपणो थे हमन अब कख खुजयाण
जुगरात रह्यां तुम, जो यख पोंछया छों
कई दिनू भटे जो तुम यखी रुकया छों
कुञ्ज सी जमयां तुम, दूब सी फेल्यां
है खाकी म देव् तू जुगराज रेयाँ।
हमन भी ख्वी अपणा, वीर तुमन भी ख्वीन
जय हिन्द उनखु जो शहीद वीन।
ये लाइनें शेयर करते हुए एसडीआरएफ ने लिखा कि ये एक बुजर्ग ग्रामीण के मार्मिक ह्दयस्पर्शी शब्दों के मूल भावों को पद्य रूप में परिवर्तन किया गया है।
लाइनों का अर्थ
चमोली में आई आपदा पर बुजुर्ग ने दर्द बयां करते हुए लिखा कि ये कैसी आपदा आई जो सब कुछ छीन कर ले गई, ये जो पानी का सैलाब आया उनकी आवाज-सुरसुराहट हम पहचान नहीं पाए…अब हम अपनों को कहां ढूंढें। फिर आगे रेस्क्यू कर रहे जवानों के लिए बुजुर्ग ने कहा कि तुम खुश रहना, सुरक्षित रहना जो तुम यहां पहुंचे. कई दिनों से तुम यहां रुके हो..आप फूल की तरह खिलें रहें और दूब की तहर फलो-फूलों.. फिर आगे उत्तराखड पुलिस औऱ एसडीआरएफ के लिए कहा कि तुम खाकी में देवता हो…हमने भी अपने खोए और आपने भी वीर जवानों को खोया। जय हिंद उन शहीद जवानों को।