भारत में खाद्य तेलों की कीमत फिलहाल कम नहीं होने वाली है। खबरें हैं कि केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम करने का फैसला टाल दिया है। सरकार ने ये फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमत गिरने की वजह से लिया है। सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिर रही कीमतों का असर भारत में भी पड़ेगा और कीमते कम होंगी लिहाजा आयात शुल्क कम करने की जरूरत नहीं है।
दोगुनी हुई कीमतें
दरअसल पिछले एक साल में देश में पॉम ऑयल और सोया ऑयल की कीमतें दोगुनी हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार पर इन कीमतों को नियंत्रित करने का भारी दबाव था। लिहाजा सरकार ने आयात शुल्क में कटौती के बारे में विचार किया और इस संबंध में आदेश जारी किया। 17 जून से ये कटौती लागू होनी थी लेकिन इसी बीच सरकार ने ये फैसला टाल दिया। सरकार का तर्क है कि इंटरनेशनल मार्केट में खाद्य तेलों की कीमत कम हो रही है और इसका फायदा भारत को भी मिलेगा।
खपत में गिरावट
वहीं बीते कुछ दिनों में खाने के तेल की कीमतों में 20 परसेंट की गिरावट आई है हालांकि फिर भी तेल की कीमतें साल भर के मुकाबले दोगुनी हैं। अगर कीमतें लंबे समय तक बढ़ी रहीं तो घरेलू खपत में कमी आने की आशंका है। डीलरों का कहना है कि बीते महीनों में कोरोना महामारी की वजह से प्रतिबंधों के चलते होटल, रेस्टोरेंट और बेकरी जैसे थोक खरीदारों की मांग पहले ही गिर गई थी।
जब भारत ने खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का फैसला करने का मन बनाया तो मलेशिया में बेंचमार्क पाम तेल की कीमतें पिछले एक महीने में लगभग एक चौथाई तक गिर गईं। इससे इंपोर्ट करने वाले देशों को राहत मिली। भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरतों का लगभग दो-तिहाई इंपोर्ट के जरिए पूरा करता है। भारत पॉम तेल आयात पर 32.5% ड्यूटी लगाता है, जबकि कच्चे सोयाबीन और सोया तेल पर 35% इंपोर्ट ड्यूटी है। भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल खरीदता है, और सोया तेल और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से आता है।