प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पीट पीटकर हत्या करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बता दें कि गोरखपुर के डीएम-एसएसपी और संबंधित थाना पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केस दर्ज कर लिया है। आयोग ने रामपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां के प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया है।
एसएसपी और डीएम का वीडियो हुआ था वायरल
वहीं इस मामले मं कानपुर के कारोबारी मनीष की पत्नी मीनाक्षी और उसके परिवार के लोगों पर मुकदमा दर्ज न करने का दबाव बनाया जा रहा था। मेडिकल कालेज चौकी में बातचीत के दौरान डीएम विजय किरन आनंद और एसएसपी डा. विपिन ताडा का वीडियो वायरल हुआ है।जिसमें दोनों अधिकारी पीड़ित परिवार को केस न दर्ज कराने की सलाह देते देखे जा रहे हैं। एसएसपी ने कहा कि मनीष से हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी। आपके कहने पर मैने पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और वो तब तकक बहाल नहीं होंगे जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है। वीडियो में देखा गया कि डीएम और एसएसपी महिला को वीडियो बनाने से रोक रहे थे.
प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत का मामला
गोरखपुर पुलिस की पिटाई से हुई कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। रामपुर के नादरबाग मढ़ैया निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा जिसमें कहा है कि गोरखपुर के इस चर्चित प्रकरण में पुलिस लीपा-पोती की कोशिश कर रही है, जबकि मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उसकी झूठी कहानी की पोल खोलकर रख दी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये बात आई सामने
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला है कि मनीष के सिर, चेहरे और शरीर पर गंभीर चोट के निशान हैं। मनीष के सिर के अगले हिस्से पर तेज प्रहार किया गया, जिससे उनके नाक के पास से खून बह रहा था। हालांकि, पुलिस ने घटना के बाद अपने पहले बयान में इसे हादसे में हुई मौत बताया था। उन्होंने डीएम, एसएसपी और संबंधित थाना पुलिस पर कार्रवाई की मांग की। दानिश के इस प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने केस दर्ज कर लिया है।