कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। बेहद ही सौम्य छवि के धनी और मृदुभाषी कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का निधन पूरे प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। लेकिन जितना शानदार उनका व्यक्तित्व था उतना ही उतार-चढ़ावों से भरा उनका राजनीतिक सफर था।
सौम्य छवि के धनी और मृदुभाषी थे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास
कैबिनेट मंत्री बेहद ही सौम्य थे। वो मृदुभाषी थे बहुत ही कम और मीठा बोला करते थे। इसके साथ ही उनकी राजनीतिक जीवन पर बहुत अच्छी पकड़ थी। उनके बोलने से ऐसा लगता नहीं थी कि वो रजनीति के इतने बड़े कद्दावर नेता होंगे। उनकी इसी खूरी के कारण जनता उनको बेहद पसंद करती थी। उन्हें भी जनता के बीच रहना पसंद था।
ऐसे हुई थी राजनीतिक जीवन की शुरूआत
चंदन राम दास के राजनीतिक सफर की शुरूआत डिग्री कालेज से हुई थी। एमबी डिग्री कालेज हल्द्वानी में बीए प्रथम वर्ष में निर्विरोध संयुक्त सचिव बने। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1980 से की थी। वो 1997 में नगर पालिका बागेश्वर के निर्दलीय अध्यक्ष बने थे।
लगातार चार बार बने थे विधायक
जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की प्ररेणा पर वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 2006 में उन्होंने भाजपा ज्वॉइन की थी। इसके बाद वो लगातार चार बार बागेश्वर से विधायक बने। जनता का उनके लिए प्रेम ही थी कि वो साल 2007, 2012, 2017 और 2022 में लगातार चार बार विधायक चुने गए।
2022 में धामी सरकार में बने कैबिनेट मंत्री
लेकिन तीन बार लगातार विधायक बनने के बाद भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। लेकिन वो इस बात से नाराज नहीं हुए और पार्टी के लिए लगातार निष्ठा से काम करते रहे। इसी धैर्य का फल उन्हें 2022 में मिला।
एक बार फिर 2022 में वो विधायक बने। इस बार वो सिर्फ विधायक ही नहीं बने बल्कि उन्हें धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला। जिसके बाद से वो अब तक परिवहन मंत्रालय के साथ ही कई अन्य मंत्रालय एक साथ देख रहे थे।