देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का कहर बढ़ गया है आए दिन 5000 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बीते दिन शनिवार को 81 कोरोना मरीजों की मौत हुई। एक तरफ सरकार का दावा कर रही है कि यहां हर सुविधा है ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा है। साथ ही सरकार ने पर्याप्त बेड होने का भी दावा किया लेकिन इसकी पोल खुली जब खुद उनके मंत्री के साथ जब ये वाक्या हुआ। इससे साफ कहा जा सकता है कि जब ऊंचे पद पर आसीन मंत्री के साथ यह हो रहा है तो आम जनता का क्या हाल हो रहा होगा।
मामला वन मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़ा है। दरअसल कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कोरोना पीड़ित भांजे को सारे दिन किसी भी अस्पताल में आईसीयू बेड नहीं मिला। शनिवार को सुबह से शाम तक मंत्री हरक सिंह रावत अस्पतालों में फोन घुमाते रहे खुद लेकिन बेड की व्यवस्था नहीं हुई। हालांकि शाम को बामुश्किल एक निजी अस्पताल में आईसीयू मिला। बता दें कि डा. हरक रावत के कोटद्वार में रहने वाले कोरोना पीड़ित भांजे का शुक्रवार रात को ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा। इस पर उन्हें दून में मंत्री के डिफेंस कॉलोनी आवास पर आइसोलेशन में रखा गया। लेकिन उनकी हालत खराब होने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाने को कहा गया। दून से लेकर एम्स ऋषिकेश सहित किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में आईसीयू नहीं मिला। इस पर वन मंत्री ने खुद सभी अस्पतालों के प्रबंधकों और कुछ के मालिकों से फोन पर बात की। वे शाम 4 बजे तक फोन करते रहे लेकिन कहीं भी आईसीयू की व्यवस्था नहीं हो पाई। शाम को उनके भांजे को एक निजी अस्पताल में आईसीयू मिल पाया। ऐसेे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम जनतााा का क्या हाल हो रहा होगाहै।
इस पर हरक सिंह रावत का कहना है कि भांजे को आईसीयू की जरूरत थी। मैंने खुद दून अस्पताल, एम्स ऋषिकेश सहित राजधानी के सभी बड़े निजी अस्पतालों में फोन किया। एक आईसीयू बेड नहीं मिल पाया। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही से यह हाल हो रहा है। अफसर सरकार के सामने बातें ज्यादा और काम कम कर रहे हैं। अफसरों के इस रवैये से सरकार की छवि तो खराब होगी ही, साथ ही महामारी में सरकार व जनता की मुसीबतें भी बढ़ेंगी।