देहरादून : उत्तराखंड में हमेशा से अफसरशाही हावी रही है और इसके कई जीते जागते उदाहरण देखने को भी मिल चुके हैं। फिर चाहे वो मंत्री और अधिकारी के बीच तकरार हो या पूर्व सीएम बन जाने पर सम्मान में खड़ा ना होना हो…कई मौके आए जब अफसरशाही शासन के मंत्रियों पर हावी दिखी। सीएम धामी ने तो अफसरों को हरिद्वार के एक कार्यक्रम के दौरान सख्त चेतावनी दी कि अपना अड़ियल रवैया सुधार लें। लेकिन सीएम की सख्ती का कोई असर नहीं दिखा। कई मंत्री पहले भी नाराज हुए और एक बार फिर से कई मंत्री अफसरशाही के लापरवाह रवैये से नाराज हो गए हैं। दरअसल मामला मंत्रिमंडलीय उपसमिति बैठकों को बाद बनी रिपोर्ट फाइल को कैबिनेट में ना लाने को लेकर है।
निपटी तीन बैठकें लेकिन रिपोर्ट नहीं लाई गई
आपको बता दें कि कैबिनेट ने करीब 18 हजार पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे और 22 हजार उपनल कर्मचारियों के मसले पर मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई। यह उपसमिति उपनल कर्मियों के मुद्दे पर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में बनीं। उपसमिति ने तीन बैठकों में अपनी रिपोर्ट फाइनल कर शासन को सौंप दी थी। लेकिन रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से कैबिनेट की तीन बैठकें निपट गईं, लेकिन सब कमेटी की रिपोर्ट नहीं लाई गई।
मंत्रियों के घर के बाहर धरना
आपको बता दें कि उपसमिति की रिपोर्ट कैबिनेट में न आने से नाराज उपनल कर्मचारी आंदोलित हैं। अफसरों की लापरवाही का खामियाजा मंत्रियों को भुगतना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने उन्होंने सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी और उसके बाद डॉ. हरक सिंह रावत के घर के बाहर धरना प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में देरी से वे अन्य मंत्रियों के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन की रणनीति बना रहे हैं।
पुलिस ग्रेड पे के मसले पर हुआ था मंथन लेकिन…
वहीं इसी तरह कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में पुलिस ग्रेड पे के मसले पर मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनीं। तीन बैठकों में मंथन करने के बाद उपसमिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन कैबिनेट बैठक में दोनों ही रिपोर्ट नहीं लाई गई। जिससे मंत्री नाराज हो गए। अफसरशाही एक बार फिर हावी दिखी। देखने वाली बात ये है कि आखिर अब नाराज हुए मंत्री क्या कदम उठाते हैं? क्या सीएम से इसकी शिकायत कर अफसरों को टाइट किया जाएगा?