देहरादून : उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को जहां पूर्ण बहुमत मिला हो वहीं पार्टी ने जिन 23 विधानसभा सीटों पर हार मिली थी उन हार के कारणों को जानने के लिए समीक्षा के लिए टीमें भेजी थी जिसकी रिपोर्ट संगठन को मिल चुकी है। क्या इन सीटों पर भितरघात हुआ या वजह कुछ और थी वो रिपोर्ट में सामने आएगा।
उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिन 23 विधानसभा सीटों पर हार का सामना जिला उन 23 की 23 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने हार को लेकर समीक्षा की है जिसके लिए पार्टी के कई पदाधिकारियों को 23 विधानसभाओं में भेजकर हार के कारणों का पता लगाने के लिए भेजा गया था. हार के कारणों का पता लगाने वाले नेताओं ने अब अपनी रिपोर्ट संगठन को सौंप दी है।
ज्यादातर सीटों पर पार्टी को भितरघात के चलते नुकसान हुआ-सूत्र
पार्टी सूत्रों की माने तो ज्यादातर सीटों पर पार्टी को भितरघात के चलते नुकसान हुआ है। उनमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सीट भी बताई जा रही है। जिसमें भितरघात के चलते खटीमा से पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने की बात सामने आई है. हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि उनके पास अभी यह रिपोर्ट नहीं आई है प्रदेश महामंत्री के पास रिपोर्ट आई है, रिपोर्ट मिलने के बाद जो भी हार के कारण होंगे उनको लेकर कार्यवाही की जाएगी।
भितरघात ने पार्टी के नारे को किया असफल
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने युवा मुख्यमंत्री 60 पार का नारा दिया था, लेकिन भाजपा की 47 सीटें ही विधानसभा चुनाव में आई .पार्टी सूत्रों की मानें तो अगर पार्टी को कई विधानसभा सीटों पर भितरघात का सामना न झेलना पड़ता तो पार्टी 60 सीटों के आस-पास पहुंच सकती थी, लेकिन भितरघात के चलते पार्टी का वह नारा सफल ना हो पाया हालांकि पार्टी ने जरूर पूर्ण बहुमत की सरकार उत्तराखंड में बनाली, ऐसे में कई पूर्व विधायक जिनको पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था वह चुनाव होने के बाद ही भितरघात की बात कह चुके थे वहीं चुनाव परिणाम आने के बाद कई और विधायक प्रत्याशियों ने भितरघात का आरोप लगाते हुए पार्टी फोरम पर इसकी लिखित शिकायत भी की थी. विधानसभा चुनाव में ज्वालापुर सीट से भाजपा की प्रत्याशी रहे सुरेश राठोर का कहना है कि उनको भी भीतर घात के चलते हार का सामना करना पड़ा उन्होंने पार्टी फॉर्म पर बकायदा पार्टी के उन नेताओं के नाम भी रखें जिन्होंने भीतर घात किया है उन्हे उम्मीद है कि पार्टी ने जिस उद्देश्य के साथ हार की समीक्षा की है। उसे देखते हुए कारवाही भी की जाएगी।
कुल मिलाकर देखें तो भाजपा के जिन प्रत्याशियों को भितरघात के चलते विधायक बनने का सपना इस बार अधूरा रहा है,और उनकी हार का मुख्य कारण रहे भीतर घातीयों पर पार्टी कोई कार्रवाई करती है या नहीं अब इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।