देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 10 मार्च को सबसे सामने आ गया। हरीश रावत फिर से चुनाव हार गए और साथ ही सीएम धामी भी फेल साबित हुए लेकिन कुछ भी हो भाजपा ने कई मिथक तोड़े जबकि कुछ मिथक बरकरार हैं। 2017 की तुलना 2022 में भाजपा का मत प्रतिशत और सीटे दोनों ही घट गई।
बात करें 2017 की तो भाजपा ने बंपर जीत हासिल की थी। 2017 में भाजपा ने 57 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। लेकिन इस बार 10 सीटें कम हासिल हुई जिसमे कुछ निर्दलीय, बसपा और कुछ कांग्रेस ले गई। इसी को देखते हुए भाजपा का मत प्रतिशत घटकर साढ़े 44 के आसपास आ गया है। वहीं कांग्रेस को 2017 में सिर्फ 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन इस बार आंकड़ा बढ़कर 19 सीट हो गई है। ऐसे में कांग्रेस का मत प्रतिशत 34 से बढ़कर 38 के करीब पहुंच गया है।
टूटे कई मिथक
आपको बता दें कि राज्य गठन के बाद 5वी विधानसभा में यह पहली बार ऐसा हुआ जब सत्ताधारी दल ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। गंगोत्री से सीट जीतने वाले विधायक के दल की सरकार बनने का मिथक बरकरार रहा।
गंगोत्री से भाजपा के सुरेश चौहान ने जीत दर्ज की है। सबसे बड़ा मिथक यह था कि कोई भी सत्ताधारी दल लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बनाता। वर्ष 2002 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई तो वर्ष 2007 में भाजपा को जनता ने सत्ता सौंपी। वर्ष 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से सत्ता संभाली तो वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटी।
शिक्षा मंत्री पद से जुड़ा मिथक
एक संयोग उत्तराखंड में यह रहा कि यहां शिक्षा मंत्री कभी चुनाव नहीं जीतता। इस बार शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के सामने इस मिथक को तोडऩे की चुनौती थी।उन्होंने यह मिथक तोड़ा और तकरीबन पांच हजार से अधिक मतों से गदरपुर सीट पर जीत हासिल की। कुछ मिथक बरकरार भी रहे।
गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़ा मिथक
इनमें सबसे बड़ा मिथक उत्तरकाशी की गंगोत्री विधानसभा सीट का है। अभी तक यह देखने में आया है कि जिस भी दल का प्रत्याशी गंगोत्री सीट से जीतता है। उसी दल की सरकार बनती है। 2017 के चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी गोपाल सिंह रावत ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। बीते वर्ष उनके निधन के बाद यह सीट खाली चल रही थी। इस सीट पर भाजपा ने इस बार सुरेश चौहान को टिकट दिया था, उन्होंने जीत हासिल की।