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देहरादून : बड़ी खबर हरिद्वार से है, जहां विजिलेंस ने रेड में हरिद्वार सीएमएस के वरिष्ट सहायक को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। जानकारी मिली है कि यह रिश्वत एक पुलिसकर्मी से चिकित्सा बिल पास कराने की एवज में सीएमएस के सहायक ने मांगी थी. डीआईजी विजिलेंस अरुण मोहन जोशी ने ट्रैप टीम को इनाम देने की घोषणा की है।
विजिलेंस के एसपी मुख्यालय धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि शिकायतकर्ता ने 21 जून को एक शिकायती प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक, सतर्कता अधिष्ठान को दिया जिसमे कहा गया कि उसने अपने पिता कुन्दन सिंह गुसांई का मोतियाबिन्द का आँपरेशन 27 दिसंबर 2020 को राणा आई सेन्टर ऋषिकेश में कराया गया। चिकित्सा उपचार पर खर्च की गयी धनराशि 17,000 रूपये का चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बिल को 29 जनवरी को पुलिस कार्यालय में जमा किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार कार्यालय द्वारा उसके पिता के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जनपद हरिद्वार को प्रतिहस्ताक्षर के लिए भेजा गया। हरिद्वार मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में नियुक्त वरिष्ठ सहायक संजीव जोशी ने बिल पर आपत्ति लगाते हुये बिल को वापस भेज दिया। शिकायतकर्ता पुलिसकर्मी ने 17 जून को वरिष्ठ सहायक, संजीव जोशी को उनके कार्यालय में मिला तो संजीव जोशी ने बिल पास कराने के लिये 2,000 रुपये की मांग की। जिस पर शिकायतकर्ता द्वारा असमर्थता जताई गयी। उसके बाद शिकायतकर्ता ने 18 जून को बिल पर लगायी गयी आपत्ति का निराकरण कर एसएसपी कार्यालय हरिद्वार के माध्यम से मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, हरिद्वार के कार्यालय में भेजा गया।
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पहले दे दिए थे रिश्वत के 400 रुपये
शिकायतकर्ता पुलिस कर्मी ने बताया कि वह 21 जून को वरिष्ठ सहायक संजीव जोशी से उनके कार्यालय में मिला और अपने बिल को प्रतिहस्ताक्षर करवाने का अनुरोध किया। जिस पर संजीव जोशी द्वारा 2,000/- रू0 रिश्वत की मांग पर अड़े रहे। मजबूर होकर शिकायतकर्ता द्वारा संजीव जोशी को 400 रू0 दिये गये शेष धनराशि दिनांक 22 जून को देने पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल तैयार करने को कहा। शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता बल्कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही चाहता है।
पुलिस अधीक्षक, सतर्कता सैक्टर देहरादून श्वेता चौबे द्वारा शिकायतकर्ता के शिकायती प्रार्थना पत्र की गोपनीय जांच कराये जाने पर जांच में आरोप सही पाते हुये नियमानुसार ट्रैप संचालन हेतु ट्रैप टीम का गठन किया गया। पुलिस उपाधीक्षक सुरेन्द्र सिह सांमत के नेतृत्व में सरकारी गवाहों के साथ मिलकर तीन टीमों का गठन किया गया।