प्रदेश में पेपर लीक को लेकर सभी परेशान है। खासकर युवाओं में इसके कारण आक्रोश देखा जा रहा है। जब पेपर लीक मामलों में जांच शुरू हुई तो अब एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं।
VPDO भर्ती का पेपर लीक करने वाले अभ्यर्थी आए शिकंजे में
वीपीडीओ भर्ती का पेपर लीक तो सालों पहले ही हो गया था। लेकिन अब लगातार सवाल उठने के बाद जब जांच शुरू हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वीपीडीओ भर्ती का पेपर लीक मामले में अब सात साल बाद आरोपी अभ्यर्थियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
सात साल बाद कसा जा रहा है शिकंजा
आयोग ने पेपर लीक के सात साल बाद 35 अभ्यर्थियों की सूची जारी की है। सूची के साथ ही इन सभी को कारण बताओ नोटिस भेजा है। जवाब आने के बाद आयोग इन सभी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाएगा। बता दें कि आयोग नेवीपीडीओ भर्ती परीक्षा का आयोजन 2016 में कराया था। जिसमें 196 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा कराई गई थी।
परीक्षा के परिणाम थे चौंकाने वाले
इस परीक्षा के जब परिणाम आए तो हर कोई सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर ऐसा कैसे है गया। इसका परिणाम उसी साल 26 मार्च को जारी किया था। जिसमें दो सगे भईयों का चयन हो गया।
इतना ही नहीं एक ही गांव के 20 युवाओं का भी चयन हो गया था। उस समय भी इस मामले में सवाल उठने पर मामले की जांच तो हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
एक दिसबंर 2017 को ही रद्द हो गई थी परीक्षा
इसपरीक्षा पर सवाल उठने के बाद आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीएस रावत ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद परीक्षा एक दिसंबर 2017 को रद्द हो गई थी। इसके बाद आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दोबारा परीक्षा कराई थी।
पिछले साल हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक के बाद 2016 की परीक्षा में हुई गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ। जिसके बाद एक बार फिर इस मामले में जांच हुई। जांच के बाद आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव व परीक्षा नियंत्रक को जेल जाना पड़ा।