चमोली हादसे के बाद सरकार द्वारा प्रदेश भर में सेफ्टी ऑडिट करने के निर्देश दिए गए थे। इस ऑडिट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कई जगहों पर एसटीपी मानकों के आधार पर नहीं चल रहे हैं। इसके साथ ही रूद्रप्रयाग के एसटीपी सुरक्षित नहीं पाए गए।
रुद्रप्रयाग में टिन के ढांचों पर खड़े हैं एसटीपी
चमोली में हुए हादसे के बाद किए गए सेफ्टी ऑडिट में खुलासा हुआ है कि चमोली की तरह ही रुद्रप्रयाग जिले में भी एसटीपी लोहे के एंगलों और टिन के ढांचों पर खड़े हैं। जो कि बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।
इसके साथ ही डाट पुलिया स्थित एसटीपी में आए दिन बारिश का पानी घुस रहा है। यहां पर बिजली की तारें भी लोहे से बनी फर्श पर बिछी हुई हैं। यहां तक की प्लांट तक जाने का रास्ता भी सही स्थिति में नहीं है। प्लांट के पिलर गदेरे के किनारे हैं।
केदारनाथ व बेलणी में बने प्लांट में मानकों का नहीं हो रहा पालन
सेफ्टी ऑडिट में सामने आया कि दो प्लांट जो कि केदारनाथ तिराहा और बेलणी में बने हैं वो सुरक्षित नहीं है। इन प्लांटों में सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही आर्मी बैंड के पास बना प्लांट काम ही नहीं कर रहा है।
प्लांट में काम कर रहे मानकों से आधे कर्मचारी
इस सेफ्टी ऑडिट में खुलासा हुआ कि नमामि गंगे परियोजना में निर्मित प्लांटों में मानकों से आधे कर्मचारी काम कर रहे हैं। हर प्लांट में तीन पंप ऑपरेटर और एक मैकेनिकल कर्मचारी की तैनाती का प्रावधान है।
लेकिन यहां सिर्फ दो लोग काम कर रहे हैं। जिनमें से एक दिन और एक रात में ड्यूटी देता है। ऐसे में एक समय में केवल एक ही व्यक्ति प्लांट में तैनात है। इन कर्मचारियों को बेहद ही कम वेतन दिया जा रहा है। इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है।
एक प्लांट भू-स्खलन जोन में है स्थित
सेफ्टी ऑडिट के बाद पता चला है कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर बना एक एसटीपी भूस्खलन जोन में स्थित है। इस प्लांट पर काफी समय से ताला लटका हुआ है। इन दिनों बारिश के बाद यहां पर सड़क का एक 30 मीटर लंबा पुश्ता भी धवस्त हो गया है। जिसके बाद ये प्लांट खतरे की जद में है।