सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को काशी के ज्ञानवापी मामले में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद परिसर में मौजूद पानी की टंकी वुजुखाना की सफाई कराने की अनुमति दे दी है। गौरतलब है कि इसी वुजुखाने में हिंदू पक्ष ने शिवलिंग होने का दावा किया है। मुख्य न्यायधीश डीवीआई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एक महिला की याचिका पर यह निर्देश दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में भगवान की पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी। साथ ही पानी के टैंक की सफाई की मांग की गई थी क्योंकि उस टैंक में मछलियां मरी पड़ी थी। इस याचिका का मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी द्वारा विरोध नहीं किया गया।
जिला कलेक्टर की देखरेख में होगी सफाई
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि टैंक की सफाई वाराणसी के जिला कलेक्टर की देखरेख में कराई जाए। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान सुनवाई में पेश हुई। उन्होनें भी सरकार की तरफ से टैंक की सफाई करने की मांग की थी। वहीं मस्जिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने भी वाराणसी की ट्रायल में वुजुखाने की सफाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
2022 में किया था शिवलिंग का दावा
बता दें कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के वुजुखाना में शिवलिंग पाए जाने के दावे के बाद वुजुखाने को सील करने का आदेश दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नमाज जारी रखने की छूट दी। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग पर पुरातत्व विभाग को मस्जिद परिसर का सर्वे करने की मंजूरी दी थी। इसी सर्वे में मस्जिद परिसर के वुजुखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसके शिवलिंग होने का दावा किया था।