Maha Kumbh 2025 में एक से बढ़कर एक साधु-संयासी इकट्ठा होने लगे हैं। 144 साल बाद संगम के तट पर ये महाकुंभ लग रहा है। नागा साधु, हटयोगी, खड़ेश्वरी बाबा और भी तमाम तरह के साधुओं ने महाकुंभ में डेरा डालना शुरु कर दिया है। इनमें से कई साधु कई दशकों से अलग-अलग साधना और हटयोग कर रहे हैं। एक ऐसे ही बाबा है जो कई सालों से अपने सिर पर 45 किलो रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। आइये जानते है इनकी साधना की वजह?
संगम के तट पर 13 जनवरी से शुरु होने वाले महाकुंभ में हिस्सा लेने आए, एक हटयोगी अलग ही नजर आ रहे हैं। इन्होनें अपने सिर पर 45 किलो वजनी रूद्राक्षों की माला धारण की हुई है। ये 13 अखाड़ों से एक आह्वान अखाड़ा के सचिव हैं। पिछले कई साल से इस तरह इतना भारी रूद्राक्ष सिर पर रखकर वो हटयोग कर रहे हैं।
उनके सिर पर 45 किलो का रूद्राक्ष
जब बाबा से पूछा गया तो उन्होनें बताया कि कई सालों से उनके सिर पर 45 किलो का रूद्राक्ष रहता है। 24 घंटे में से 12 घंटे तक मैं इन्हें अपने सिर पर रखता हूं। बाबा का कहना है कि मैं भगवान को प्रसन्न करने के लिए और अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए ये हटयोग कर रहा हूं।
सभी तपस्या से गुजरे हैं बाबा
बाबा ने कहा कि हम ऐसा करके भगवान शंकर को मना रहे हैं। इसके लिए हमलोग कठिन से कठिन तपस्या कर रहे हैं। ये हटयोगी ढाई साल की उम्र से साधु है। उनके अनुसार बचपन में ही उन्हें अखाड़े को दान कर दिया गया था। जलधारा, अग्नि तपस्या, समाधि तपस्या इन सभी से वो गुजरे हैं। इनका उन्हें चमत्कार भी मिला है।
दुधारी महाराज की गद्दी में चढ़ाया
वही अपने बारे में बाबा ने जानकारी दी कि वे पंजाब में बाबा दुधारी के नाम से एक गद्दी हैं। वही दुधेश्वर महादेव की दुधारी महाराज पूजा करते थे। आजीवन वे सिर्फ दूध पीकर ही रहे। उन्हीं की गद्दी में मुझे ढाई साल की उम्र में चढ़ाया गया था। हमारे गुरु महाराज श्री नारायण गिरी मंडल के संरक्षण में और दुधारी बाबा के आशीर्वाद से इस 45 किलो की रूद्राक्ष को सिर पर धारण करने की शक्ति मिली।