नौकायन खेल में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मात्र पदक दिलाने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुरेंद्र सिंह कनवासी अपनी जमीन पर मालिकाना हक के लिए 20 वर्षों से शासन की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं , लेकिन न्याय न मिलने के बाद अब उनकी हक की लड़ाई न्यायालय तक पहुंच गई है। वहीं आज उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने उनकी परेशानियो का हवाला देते हुए सरकार से उन्हें राहत दिए जाने की मांग उठाई है।
जमीन पर मालिकाना हक के लिए भटक रहे सुरेंद्र
कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि बीजिंग एशियाड में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले और विश्व प्रतियोगिता में कांस्य पदक दिलाने वाले सुरेंद्र कंवासी को 1992 में उत्तर प्रदेश के गौचर मे आधी नाली जमीन उपलब्ध कराई गई थी लेकिन बी.ई.जी.रुड़की से जब छुट्टी लेकर वे घर पहुंचे तो इस जमीन पर अन्य लागों ने कब्जा कर लिया। वहीं दोबारा जिला प्रशासन ने उन्हें 2011 में जिस जमीन का पट्टा दिया तो उन्होंने ढाबे का संचालन शुरू किया , फिर रेस्टोरेंट बनाया और दस साल के बाद अब प्रशासन ने अपने ही आदेशों से मुंह मोड़ते हुए , उनकी जमीन के पट्टे को रद्द करते हुए , होटल को गिराने के आदेश दिए हैं। जिसके विरुद्ध सुरेंद्र कनवासी को अब न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है। इस बीच सुरेंद्र ने प्रशासन से शासन तक , मुख्यमंत्री से राज्यपाल तक , गुहार लगाई है । लेकिन हर जगह उसे निराशा ही मिली ।
कहां है खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की नीति
कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने इसे पहले सुरेंद्र कंवासी को टिहरी झील एडवेंचर और उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में अपनी सेवाएं देने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन आखिर में राजनैतिक षडयंत्र के चलते उसे यहां भी न्याय नहीं मिल सका । सुरेंद्र राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों की चयन समिति के कोच भी रहे हैं । साथ ही उन्होंने उत्तराखंड पुलिस में अनेक राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ियों को तैयार किया । इस योगदान के बाद भी सुरेंद्र कनवासी आज जमीन पर मालिकाना हक के लिए भटक रहे हैं । लेकिन कोई भी राजनीतिक एवम सामाजिक संगठन उनके हक की लड़ाई के लिए एक शब्द कहने को तैयार नहीं है । उन्होंने सवाल किया कि आखिर कहां है हमारी सरकार की खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की नीति ?
धीरेंद्र प्रताप ने सीएम धामी से मांगी मदद
बता दें कि भारत को 7 बार गोल्ड मेडल दिलाने वाले सुरेंद्र कनवासी सरकार की नीतियों से परेशान हो चुके हैं । उनका कहना है कि, उन्होंने तो केवल सैनिक रहते हुए देश धर्म का पालन किया और खेलों में भारत के लिए अपनी जान तक लगा दी । अब उसकी आंखों के सामने न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलता है तो वह बेघर हो जाएगा । धीरेंद्र प्रताप ने इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हस्तक्षेप की गुहार की है।