अंकिता भंडारी मर्डर केस में हाईकोर्ट ने सरकार की जांच को आइना दिखा दिया है। हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए एसआईटी से सवाल किए हैं। हाईकोर्ट ने पूछा है कि रिजार्ट पर बुलडोजर चलाने से पहले कौन से सबूत वहां से कलेक्ट किए गए, इसकी जानकारी दें। हाईकोर्ट ने बाकायद शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। इसके साथ ही अंकिता के माता पिता ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर दिया है।
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अपनी बेटी अंकिता को न्याय दिलाने के लिए आज अंकिता के माता पिता नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे। अंकिता के माता पिता की ओर से आशुतोष नेगी ने एक याचिका डाली है। इस याचिका में कहा गया है कि एसआईटी जांच में लापरवाही कर रही है और इसीलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। अंकिता के माता पिता ने कहा है कि सरकार किसी ‘वीआईपी’ को बचाने की कोशिश कर रही है।
अंकिता के माता पिता ने जो प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया है उसमें उन्होंने रिजार्ट पर बुलडोजर चलाने और साथ ही रिजार्ट से सटी फैक्ट्री में दो बार संदिग्ध हालात में आग लगने की घटना का भी जिक्र किया है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि सबूत मिटाने के लिए बुलडोजर चलाने के बाद रिजार्ट से सटी फैक्ट्री को जला दिया गया। जबकि फैक्ट्री में खून के निशान देखे गए थे। यही नहीं अंकिता के माता पिता ने जिलाधिकारी के ट्रांसफऱ पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया है कि सरकार ने किसी को बचाने के लिए डीएम का ट्रांसफर कर दिया। इसके साथ ही उनपर क्राउड फंडिग का आरोप भी लगाया गया।
प्रार्थना पत्र में कोर्ट को बताया गया है कि शव का पोस्टमार्टम कराते समय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक महिला का होना जरूरी होता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई।
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प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ औऱ पुलिस और एसआईटी इसे छुपा रहें हैं। इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।
कोर्ट को बताया गया है कि अंकिता के कमरे को बिना उनके माता पिता की अनुमति के तोड़ा गया। जबकि जिस दिन अंकिता की हत्या हुआ उस दिन शाम छह बजे तक उस कमरे में पुलकित और अंकिता मौजूद थे।