अल्मोड़ा : कोरोना काल में बांटी गई आइवरमैक्टिन के दवाइयां परेशानी का सबब बन रही है। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों और बच्चों के लिए। चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर सरकार ने भले ही इस गोली को कोरोना के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाइयों की सूची से बाहर कर दिया है लेकिन घर—घर पहुंच चुकी आइवरमैक्टिन अभी भी घरों में रखी हुई है और बच्चों की जब तब तबीयत बिगाड़ रही हैं।
जी हां बता दें कि बीते दिन अल्मोड़ा में बगैर चिकित्सक की सलाह के दवा खिलाने से दो बच्चों की हालत बिगड़ गई। हालांकि हालांकि उनके परिजनों का कहना है कि बच्चों ने अन्जाने में यह गोलियां खा ली थीं। जिले के सबसे बड़े जिला चिकित्सालय में सप्ताहभर में ऐसे पांच मामले आ चुके हैं। ताजे मामले लमगड़ा ब्लॉक के गौना जलना गांव से आए हैं। यहां ग्रामीण नवीन कुमार के ढाई वर्षीय पुत्र अभिषेक आइवरमैक्टिन की गोलियां खाने के बाद बेहोश होने लगा। पड़ोसी रमेश राम की चार वर्षीय बेटी संध्या को भी एक से ज्यादा गोलियां दे दिए जाने से उसमें भी बेहोशी छाने लगी। बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें स्थानीय चिकित्सालय से जिला चिकित्सालय रेफर किया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें उपचार के बाद आज घर भेज दिया।