श्रीहरिकोटा से सूरत की सतह पर कई राद जानने के लिए आदित्य एल वन रवाना हो गया है। यह चार महिने बाद सूरज के जिस लैंग्रोजियन पॉइंट में आदित्य एल वन पहुंचेगा वहां से अगले तकरीबन 25 साल तक यह हमारे वैज्ञानिकों को सूचानाएं भेजता रहेगा।
25 साल से ज्यादा तक खंगालेगा सूर्य के रहस्य
बता दें कि आदित्य एल वन की उम्र वैसे तो पांच साल की है लेकिन जिन तकनीकियों के इस्तेमाल से उसको भेजा गया है वह कम से कम 25 साल से ज्यादा तक सूर्य से रहस्यों को खंगालता रहेगा। वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि कई सालों तक अब सूरज के तापमान में होने वाले फेरबदल और धरती पर होने वाले उसके असर को समझना बहुत आसान हो जाएगा। वही इसरो के इस महत्वपूर्ण मिशन पर अमेरिका यूरोप और चीन की स्पेस एजेंसियों की निगाहें लगी हुई हैं।
आदित्य एल वन के माध्यम से मिलेंगी कई जानकारी
वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज के रहस्य को समझाने के लिए आदित्य एल वन मिशन न सिर्फ पराबैंगनी किरणों की स्टडी करेगा बल्कि एक-रे और सूरज से निकलने वाली हाई एनर्जी प्रोटांस क प्रभाव को समझेगा। इस पूरे मिशन के दौरान वैसे तो 5 साल तक की प्रोग्रामिंग और इतने ही दिनों में मिलने वाली जानकारी के आधार पर समूची दुनिया के वैज्ञानिक अगले कई दशकों तक शोध कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक सूर्य के तापमान के बारे में जितनी भी जानकारियां आई हैं वह सोहो मिशन के माध्यम से ही ज्यादातर सामने आई हैं। अब सूरज की सतह और वहां से निकलने वाली किरणों समेत उसके तापमान और मैग्नेटिक फील्ड की पूरी जानकारी मिशन आदित्य एल वन के माध्यम से पता चलेगी।