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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने चुनाव सुधार की तरफ व्यापक दिशा में कदम बढ़ाते हुए वोटर आईडी कार्ड से आधार को लिंक करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। हालांकि, विधेयक में यह भी साफ किया गया है कि दोनों कार्ड को लिंक करना अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैछिक होगा। बता दें कि इससे चुनाव में गड़बड़ी से बचा जा सकता है। इसकी मांग चुनाव आयोग ने की थी।
विधेयक में क्या है?
मोदी कैबिनेट ने इस प्रस्तावित विधेयक में वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की मंजूरी दी है। चुनाव आयोग काफी लंबे समय से इस सुधार की मांग कर रहा था। इस विधेयक के तहत जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव किया जाएगा।केंद्र सरकार इसे राज्यसभा में पेश करेगी। इसपर बहस हो सकती है और सदस्य कुछ बदलाव आदि के बारे में सरकार को राय दे सकते हैं। संसद से पास होने के बाद ही आगे यह कानूनी रूप लागू हो जाएगा है।
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वोटर और आधार कार्ड लिंक से क्या होगा फायदा?
चुनाव आयोग के अनुसार, आधार से वोटर कार्ड लिंक हो जाने के कारण वोटिंग में फर्जीवाड़ा रुक सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की दिशा में भी यह अहम कदम होगा। अगर यह लागू होता है तो प्रवासी वोटर जहां से उनका वोटर कार्ड होगा वहां वोट डाल पाएंगे। उदाहरण के तौर पर किसी शख्स का उसके गांव के वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से शहर में रह रहा है। वह शख्स शहर के वोटर लिस्ट में भी अपना नाम अंकित करवा लेता है। फिलहाल दोनों जगहों पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट में अंकित रहता है। लेकिन आधार से लिंक होते ही केवल एक वोटर का नाम एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा। यानी एक शख्स केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।
चुनाव आयोग ने की थी केंद्र से मांग
2019 के अगस्त महीने में चुनाव आयोगी की तरफ से कानून मंत्रालय के सचिव को एक चिट्ठी लिखी गई थी। जिसमें जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और आधार अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव की बात लिखी गई। आयोग का तर्क था कि इससे वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों से बचा जा सकता है। आयोग ने पत्र में लिखा था कि आधार को जोड़ने के कारण वोटर कार्ड के फर्जीवाड़े से बचा जा सकता है और फर्जी वोटरों की समस्या से निजात मिल सकती है।
विधेयक में क्या-क्या बदलाव हैं?
वोटर कार्ड से आधार लिंक के अलावा वोटर अब साल में 4 तारीखों, 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को अपना नाम मतादाता सूची से जुड़वा सकता है। इससे पहले केवल 1 जनवरी को ही ऐसा होता था। मौजूदा व्यवस्था में हर साल 1 जनवरी तक 18 साल की आयु प्राप्त करने वालों को मतदाता बनने का अधिकार मिल जाता है।