उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। यहाँ पद पद पर मठ और मंदिर देखने को मिलते हैं जो अपने में एक अलग ही इतिहास समेटे हुए हैं। कहा जाता है कि ऋषि मुनियों ने सैकड़ों साल तपस्या करके इस दिव्यभूमि को बनाया है, जिसका वैभव पाने के लिए श्रद्धालु मीलों की यात्रा करके भगवान के दर्शन करने उत्तराखंड आते हैं। आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहाँ पर मुर्दा भी जिन्दा हो जाते हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के लाखामंडल मंदिर की…
भगवान शिव को समर्पित है लाखामंडल
प्रकृति की वादियों में बसा यह गांव भारत देश के उत्तराखंड राज्य के पाटनगर देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यमुना नदी की तट पर है। दिल को लुभाने वाली यह जगह गुफाओं और भगवान शिव के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। बताया जाता है कि यहां पर खुदाई करते वक्त विभिन्न आकार के और विभिन्न ऐतिहासिक काल के शिवलिंग मिले हैं। लाखामंडल एक प्राचीन हिंदू मंदिर परिसर है, जो की देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
पवित्र जल छिड़कते ही जीवित हो जाते है मृत व्यक्ति
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में अगर किसी शव को द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है। जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है।

शिवलिंग में मात्र परछाई देखने से कट जाते है सारे पाप
गांव के लोगों का मानना है कि लाखामंडल में बने शिवलिंग का जब भक्त जलाभिषेक करते हैं तो उन्हें सृष्टि का स्वरूप दिखाई पड़ता है। इस शिवलिंग पर अपनी तस्वीर मात्र को देखने से सारे पाप कट जाते हैं। मंदिर में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है, महादेव अपने दर पर आने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।
मान्यताओं के अनुसार मंदिर का निर्माण युधिष्ठिर द्वारा किया गया था। यह वह जगह है, जहां दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए लक्षग्राह बनाया था, लेकिन किस्मत से पांडवों को शक्ति से देवता के द्वारा बचाया गया था । इसलिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पवित्र शक्ति का जश्न मनाने के लिए यहां एक शक्ति मंदिर का निर्माण किया गया था।