हल्द्वानी से पंडित नारायण दत्त तिवारी का काफी पुराना रिश्ता रहा है। भले आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके काम और उनकी स्पष्ट, साफ छवि, मेहनत औऱ ईमारीदारी की मिसाल हमेशा दी जाएगी. वहीं बचपन से लेकर राजनैतिक कैरियर की शुरुआत करने तक हल्द्वानी से पंडित नारायण दत्त तिवारी की कई यादें जुड़ी हैं।
एक धोती, फटा हुआ कंबल और जेब में 50 रुपये लेकर पहुंच इलाहाबाद
पंडित नारायण दत्त तिवारी के साथ लंबे समय से राजनीति में सहयोगी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने बताया कि पंडित नारायण दत्त तिवारी 12वीं पास करने के बाद नारायण दत्त तिवारी घर से भागे तो उनके पास सिर्फ एक धोती, फटा हुआ कंबल और जेब में 50 रुपये थे।3 साल बाद उनके पिता पूर्णानंद तिवारी को पता चला कि पंडित नारायण दत्त तिवारी इलाहाबाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ आनंद भवन में रह कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष रहे
यही नहीं पंडित नारायण दत्त तिवारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र यूनियन के अध्यक्ष रहने के बाद जब पहली बार नैनीताल जिले से चुनाव लड़े तो हल्द्वानी और लालकुआं क्षेत्र के लोगों ने उनको काफी सहयोग किया. यही नहीं गन्ना बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां के गन्ना किसानों ने तिवारी जी को उस समय 9 हजार रुपये के गन्ने की पर्ची देकर उनके चुनाव में सहयोग किया था।
इकलौते ऐसे सीएम जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्याकाल पूरा
एनडी तिवारी उत्तराखंड के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अब तक मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्याकाल पूरा किया। वो 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पूरे 5 साल तक मुख्यमंत्री के पद को संभाला।
गौर हो कि पूर्व सीएम एनडी तिवारी की लंबी बिमारी के चलते दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल में निधन हो गया. जिससे राज्य को राजनैतिक क्षति हुई. आपको बता दें पिछले साल सितंबर से वो मैक्स अस्पताल में भर्ती थे. उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी.