Chardham Yatra 2023 का दूसरा चरण आगामी 15 सितंबर से जोर पकड़ लेगा। लेकिन पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का कहर थमता नहीं नजर आ रहा है। मानसून की बारिश के चलते अभी भी पहाड़ी इलाके संवेदनशील बने हुए हैं। हालात ऐसे हैं की हल्की बारिश शुरू होते ही पहाड़ के दरकने का सिलिसिला कब शुरू हो ये भगवान भरोसे है।
पहाड़ी इलाकों में नहीं थम रहा भूस्खलन का खतरा
चमोली जनपद में कमेड़ा से Badrinath dham तक 160 किमी लंबे बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर 25 भूस्खलन क्षेत्र आवाजाही में खलल डाल रहे हैं। इनमें से 10 भूस्खलन क्षेत्र पुराने हैं। जबकि अन्य 15 भूस्खलन क्षेत्र इस बार वर्षाकाल में लगातार बारिश के चलते विकसित हुए हैं। यहां हल्की वर्षा होते ही पहाड़ियों से मलबा और पत्थर बरसने लगते हैं।
पहाड़ी इलाकों में कई जगह आवाजाही बाधित
यही वजह है कि जून से अब तक राजमार्ग विभिन्न स्थानों पर लगभग 300 घंटे बंद रहा है। वहीं रुद्रप्रयाग में भी 16 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध चल रहे हैं, जिससे जिले के 100 से अधिक ग्राम सभा प्रभावित हैं। आवाजाही नहीं होने से जरूरी सामग्री के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा रहा है।
हल्की बारिश शुरू होते ही दरक रहे पहाड़
प्रदेश में भले ही बारिश थमने के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में राहत मिली हो। लेकिन पिछले दो महीने भारी बारिश से तर हुए पहाड़ों में भूस्खलन का खतरा अभी भी बढ़ रहा है। पहाड़ों की मिट्टी सूखने के बाद अब पत्थरों के लुढ़कने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि Chardham Yatra 2023 के दूसरे चरण में भूस्खलन कही न कही रोड़ा बन सकता है।