रुड़की: कहते हैं कि रक्तदान महादान होता है। लोग रक्तदान करते भी हैं। कई बार बाकायदा रक्तदान के लिए शिविर आयोजित किये जाते हैं। लोग दूसरों की जान बचाने के लिए अपना खून दान करते हैं। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हों, जो खून की कालाबाजारी कर रहे हैं। कालाबाजारी कर दूसरों के किए महादान को बेच रह हैं। रुड़की के सिविल अस्पताल में ऐसा ही मामला सामने आया है।
रुड़की के सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में इन दिनों ब्लड के नाम पर खुलेआम वसूली और तस्करी की जा रही है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें सोशल मीडिया पर ऑडियो और वीडियो दोनों ही वायरल हो रही है। इन ऑडियो और वीडियो में ब्लड बैंक का एक कर्मी ब्लड लेने आए लोगों से सरकारी फीस के साथ ही खर्च और अन्य सुविधा शुल्क के रूप में 1300 से 4000 के बीच की डिमांड करता नजर आ रहा है।
सीएमएस से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को ब्लड बैंक से हटाकर कोविड-19 में ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है, जबकि ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. रितु खेतान ने फोन भी नहीं उठाया। सवाल यह है कि सामाजिक संस्थाओं के साथ ही सिविल हॉस्पिटल का स्टाफ और अन्य अधिकारी आम लोगों रक्तदान, महादान का नारा तो देते हैं, लेकिन खुद उस पर कुछ भी कहने को राजी नहीं हैं।
कोरोना महामारी जैसे आपातकाल समय में खून के नाम पर की जा रही खुलेआम लूट से अधिकारियों की चुप्पी कहीं न कहीं इस बड़े खेल से पर्दा न उठने का संकेत दे रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि ऐसे घिनौने कार्य को अंजाम देने वाले कर्मी पर कानूनी कार्रवाई ना करते हुए सीएमएस डॉ. संजय कंसल ने उन्हें सिर्फ यहां से हटाकर दूसरी जगह तैनात कर दिया।