Highlight : उत्तराखंड : 72 साल के जांबाज शिकारी, 57 आदमखोर कर चुके ढेर, अब इसकी बारी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : 72 साल के जांबाज शिकारी, 57 आदमखोर कर चुके ढेर, अब इसकी बारी

Reporter Khabar Uttarakhand
3 Min Read
57 man-eaters piled up

57 man-eaters piled up

हल्द्वानी: रामनगर वन प्रभाग में हल्द्वानी के आसापस के इलाकों में बाघ का आतंक है। बाघ पिछले कुछ समय में ही 6 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। लोगों के विरोध के बाद वन विभाग ने उसे मारने के आदेश जारी किए। सीएम धामी ने भी वन विभाग के अधिकारियों को किसी भी गांव में बाघ से गुलदार के हमले होने की स्थिति में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है, जिसके बाद अधिकारी लगातार नजर बनाए हैं। बाघ को मारने के लिए शिकारी भी पहुंच चुके हैं।

हल्द्वानी से लगे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए आफत बन चुके बाघ से निजात दिलाने के लिए 72 साल का जांबाज शिकारी जंगल में उतर चुके हैं। अब तक 57 आदमखोर बाघ-गुलदारों को ठिकाने लगा चुके आशीष दास गुप्ता 58वें शिकार की तलाश में हैं। इस बार उनका साथ दे रहे हैं 28 साल के अंतरराष्ट्रीय शूटर सैयद अली भी साथ हैं।

फतेहपुर रेंज में पिछले चार माह में आदमखोर बाघ 6 लोगों की जान ले चुका है। आदमखोर के आतंक को खत्म करने के लिए वन विभाग ने परनू हिमाचल के शिकारी आशीष दास गुप्ता को बुलाया है। हिमाचल स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य आशीष 15 साल की उम्र से ही शिकार कर रहे हैं। अभी तक उन्होंने 57 आदमखोरों को शिकार बनाया है, जिसमें 5 बाघ और गुलदार हैं।

उन्होंने बताया कि 1987 में पौड़ी जिले के दुगड्डा में आदमखोर गुलदार को मारना काफी चुनौती पूर्ण रहा। उस गुलदार ने 57 लोगों की जान ली थी। वह समय-समय पर लोगों को मारकर गायब हो रहा था। करीब चार साल बाद उस गुलदार को उन्होंने अपने गुरु कर्नल शेर जंग जो स्वतंत्रता सेनानी भी रहे के साथ ठिकाने लगाया था। इसके अलावा 1998 में पौड़ी में 40 लोगों की जान लेने वाले गुलदार को मारना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा।

आशीष के साथ मेरठ अमरौली के रहने वाले युवा सैयद अली बिन हादी भी आदमखोर की तलाश में जुटे हैं। सैयद 2003 में जूनियर नेशनल शूटिंग के चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिताओं में 25 से अधिक मेडल जीते हैं। उनके पिता सैयद हादी और दादा सैयद इक्तेदार हुसैन भी मशहूर शिकारी रहे हैं। सैयद अली पिथौरागढ़ जिले में भी दो आदमखोर गुलदार को ठिकाने लगा चुके हैं।

उन्हें लाइसेंस टू किल मैनइटर हंटर भी मिला हुआ है। यह लाइसेंस देश में गिने-चुने शिकारियों को ही दिया जाता है। शिकारी आशीष दास गुप्ता ने बताया कि मुझे बाघ-गुलदार को मारने को शौक नहीं है। पहले वन्यजीव को ट्रेंकुलाइज करने या पिंजरे में फंसाने का प्रयास किया जाता है। उसे मारना अंतिम विकल्प है। नेचर को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपने-अपने स्तर से प्रयास करने चाहिए।

Share This Article