मुंबई में रहने वाली एक 5 महीने की बच्ची जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। बच्ची को दुर्लभ बीमारी ने जकड़ लिया है। बच्ची का इलाज मुंबई के सबअर्बन अस्पताल में इलाज चल रहा है जो की वेंटिलेटर पर है। बता दें कि बच्ची का नाम है तीरा कामत जिसको एसएमए टाइप 1 यानी स्पाइनल अस्ट्रोफी नामक एक दुर्बल बीमारी है। जिसके एक इंजेक्शन की कीमत सुन आप हैरान रह जाएंगे। जी हां बता दें कि इस बीमारी से ठीक होने के लिए बच्ची को एक ऐसे इंजेक्शन की जरूरत है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है।
विदेश से आना है इंजेक्शन, कीमत हैरान कर देने वाली
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बच्ची को जो दुर्लभ बीमारी है उसका इंजेक्शन अमेरिका से आना है और इसी इंजेक्शन से बच्ची की जिंदगी बच सकती है। इंजेक्शन की कीमत जान हर कोई हैरान है। जी हां बता दें कि इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ बताई जा रही है। तीरा कामत के माता-पिता इस इंजेक्शन को खरीदने में असर्मथ हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया। सोशल मीडिया पर पेज बनाकर तीरा का माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के जरिए 14 जनवरी तक 10 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए।
करीबन 6.5 करोड़ टैक्स लगना था
आपको बता दें कि बच्ची के इलाज के लिए करीबन 6.5 करोड़ टैक्स लगना था। हालांकि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने इसका संज्ञान लिया और मोदी सरकार ने इंजेक्शन पर लगने वाले सभी टैक्स (23 फीसदी आयात शुल्क और 12 फीसदी जीएसटी) को माफ कर दिया।
देवेंद्र फडणवीस ने लिखी थी पीएम मोदी की चिट्ठी
दरअसल देवेंद्र फडणवीस के संज्ञान में ये मामला आने के बाद उन्होंने पीएम मोदी की चिट्ठी लिखा और मदद मांगी थी कि अमेरिका से आने वाले इस इंजेक्शन पर लगने वाले सभी टैक्स में छूट दी जाए। झट से पीएम मोदी ने मदद के लिए हामी भर दी जिसके बाद बच्ची के इलाज का रास्ता खुल गया है। अब जल्द ही अमेरिका से इंजेक्शन मंगाया जाएगा। बताया जा रहा है कि जीन थेरेपी का उपयोग करके बच्चे का उपचार किया जाएगा। उस पर की जाने वाली सर्जरी से उसे वही जीन वापस मिल जाएगा जो उसके जन्म के दौरान गायब था। बच्ची के माता पिता का कहना है कि जन्म के समय तीरा बिल्कुल स्वस्थ थी लेकिन धीरे-धीरे उसकी तबीयत खराब होने लगी।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है।