देहरादून: जंगलों की आग लगातार खतरनाक होती जा रही है। जंगलों को बर्बाद कर चुकी आग अब गांवों तक पहुंचने लगी है। लगातार गांवों के आसपास आग की घटनाएं सामने आ रही हैं। हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर पूरी तरह से राख हो चुका है। जंगल की आग से आसमान में धुंध छाई हुई है। हवा में जहर घुल रहा है। वन्य जीव जलकर मर रहे हैं। वन संपदा पूरी तरह से तहस-नहस हो रही है। बावजूद, सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
खबर है कि वन मंत्री भी मुंबई से आग पर कंट्रोल कर रहे हैं। सोशल मीडिया में उनका एक बयान अखबार की कटिंग के रूप में वायरल हो रहा है। बयान में कहा गया है कि वो इन दिनों मुंबई में हैं और लगातार जंगल की आग को लेकर अधिकारियों से अपडेट ले रहे हैं। सवाल यह है कि वन मंत्री उत्तराखंड के हैं तो क्या उनको पता नहीं होगा कि इन दिनों आग से कितना बुरा हाल है। आग बेकाबू हो चुकी है। हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है, इसकी फिलहाल पुष्टि नहीं हो पाई है।
स्थिति यह है कि आग से अब लोगों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। लगातार आग की घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार के आधुनिक उपकरणों से आग बुझाने के दावे फेल साबित हो रहे हैं। जंगल की आग को बुझाने के लिए तैयारियों के दावे हवाई साबित हो चुके हैं। सेना की मदद की बातें भी केवल बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गई।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर उत्तराखंड के जंगल कैसे बच पाएंगे। सवाल यह भी है कि हर साल राज्य में लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों पौधे लगाए जाने के लिए बाकायदा अभियान चलाया जाता है, लेकिन हालिया रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में जंगल 30 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। अगर हर साल इसी तरह जंगल जलते रहे और आग बुझाने के लिए बारिश पर निर्भर रहे तो बचा हुआ जंगल भी नहीं बच पाएगा।