देहरादून : बस कुछ ही घंटों में साफ हो जाएगा कि राज्य में किसकी सरकार बन रही है। किसकी जीत हुई और किसकी हार हुई। ये साफ हो जाएगा कि किसका दावा फेल हुआ और किसका दावा सही साबित हुआ। बता दें कि कल यानी की 10 मार्च को सुबह 8 बजे मतगणना शुरु हो जाएगी। मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। देहरादून में 500 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया है जो सुरक्षा का ध्यान रखेंगे। भाजपा कांग्रेस जीत का दावा कर रही है।
लेकिन बात करें एग्जिट पोल्स की तो उनके आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस और भाजपा की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस भाजपा सीट के मामले में आस पास ही हैं। वहीं मतगणना से पहले कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। कांग्रेस को विधायकों की खरीद फरोख्त का डर सताने लगा है और इसलिए विधायकों को अन्य राज्यों में भेजने की तैयारी की खबर है। बता दें कि भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के उत्तराखंड पहुंचने से सियासी पारा चढ़ गया है।
आपको बता दें कि मतगणना से पहले देहरादून के एक होटल में कांग्रेस का वार रूम सक्रिय हो गया है। मंगलवार को पार्टी नेताओं ने बंद कमरे में बैठक की और रणनीति तैयार की। मीडिया में भी चहल पहल रही। वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने 42 से 45 सीटें जीतने का दावा किया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी खंडित जनादेश को लेकर भी घबराई हुई है। कांग्रेस सतर्क रहना चाहती है और कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है और इसलिए कांग्रेस ने मतगणना से पहले रणनीति तैयार करली है। मतगणना के दिन हर पोलिंग स्टेशन पर कांग्रेस का एक केंद्रीय पर्यवेक्षक तैनात रहेगा और उसकी पैनी नजर रहेगी।
पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी होगी कि वह मतगणना के दौरान प्रत्याशी की मदद करे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी ना होने दे। चुनाव नतीजे आने के बाद जीते हुए विधायक पर्यवेक्षक की सुरक्षा में रहेगा। सू्त्रों के अनुसार जीते हुए विधायकों को कांग्रेस शासित दूसरे राज्यों में शिफ्ट किया जा सकता है। खबर है कि विधायकों को छत्तीसगढ़ और राजस्थान में शिफ्ट करने की तैयारी है।
एग्जिट पोल पर पूर्व सीएम ने बयान देते हुए कहा कि जनता का पोल बड़ा है। उसने राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए पोल किया है। इसलिए निश्चित तौर पर उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। विजयवर्गीय के सवाल पर हरीश ने कहा कि वह खरीद-फरोख्त के पुराने खिलाड़ी हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस पहले से सचेत है।। कांग्रेस में हलचल की वजह भी साफ है कि 2016 में हरीश रावत सरकार में तोड़-फोड़ के सूत्रधार रहे कैलाश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के विचार-विर्मश करने में जुटे हुए हैं। हरीश रावत सरकार के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस के नौ विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के कई दिग्गजों के साथ देहरादून में मीटिंग का दौर शुरू होते ही कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है।