देहरादून : 9 मार्च का दिन भाजपा में उथल पुथल मच गई थी। उत्तराखंड की राजनीति में बीते साल 2021 को आज ही के दिन भूचाल आ गया था। कांग्रेस ने जमकर भाजपा सरकार को घेरा था। बता दें कि आज ही के दिन 9 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले दिल्ली का रुख किया। कयासों लेकर राजनीति का बाजार गर्म हो गया था। सियासी भूचाल आने वाला है ऐसा अंदेशा लगने लगा था। वहीं दिल्ली से लौटने के कुछ देर बाद जब त्रिवेंद्र रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा था।
आज पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत को पद से इस्तीफा दिए एक साल हो गया है। त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफा देने के बाद सीएम की कुर्सी पौड़ी सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई लेकिन वो भी ज्यादा दिन तक सीएम की कुर्सी पर टिक नहीं पाए और फिर उनके बदले युवा चेहरा खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को सीएम की कुर्सी सौंपी गई। अब भाजपा युवा चेहरे को लेकर ही 2022 का चुनाव लड़ रही है और कह रही है युवा धामी, दिलदार धामी..देखना होगा कि क्या युवा चेहरे के बदौलत भाजपा चुनाव जीत सकती है।
चार साल का कार्यकाल पूरा होने में रह गए थे 9 दिन
इस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से रुबरु होते हुए कहा कि पार्टी ने मुझे चार साल तक इस राज्य की सेवा करने का सुनहरा अवसर दिया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसा मौका मिलेगा. पार्टी ने अब निर्णय लिया है कि सीएम के रूप में सेवा करने का अवसर अब किसी और को दिया जाना चाहिए. सीएम के रूप में मुझे चार वर्ष में 9 दिन कम रह गए थे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के अहम फैसले
चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधामी घोषित की
सौभाग्यवती किट योजना शुरू किया
गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की सोची थी, जमकर हुआ था विरोध