देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐपण कला को बढ़ावा देने के लिए एक पहल की है। पिछले दिनों सभी कार्यालयों में नेमप्लेट ऐपण कला से लिखा हुए प्रारुप में लगाने का निर्णय लिया गया था जिसकी शुरुआत सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यालय से की है। उनके कार्यालय में ऐपण से नेमप्लेट बनाई गई है। इसके बाद अब अन्य मंत्री और अधिकारी अपने दफ्तर पर इसी तरह से ऐपण की नेमप्लेट लगाएंगे।
क्या है ऐपण?
ऐपण उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र की एक समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा है, जिसका प्रत्येक कुमाऊँनी घर में एक महान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। ऐपण शब्द संस्कृत के शब्द ‘अर्पण’ से लिया गया है, ‘ऐपण’ का शाब्दिक अर्थ ‘लिखना’ होता है। ऐपण हमारे हर त्योहारों, शुभ अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और नामकरण संस्कार, विवाह, जनेऊ आदि जैसे पवित्र समारोहों का एक अभिन्न अंग है। इस तरह के सभी कार्यों की शुरुआत ऐपण बनाने से की जाती है।
ऐपण फर्श, दीवारों और घरों के प्रवेश द्वार, पूजा कक्ष और विशेष रूप से देवताओं के मंदिर को सजाने के लिए बनाये जाते है। इन डिजाइनों का उपयोग लकड़ी की चौकी को पेंट करने के लिए भी किया जाता है। विभिन्न अवसरों और अनुष्ठानों के आधार पर, विभिन्न प्रकार की चौकिया बनाई जाती हैं। इस प्राचीन कला की सुंदरता ने युवाओं को इस तरह आकर्षित किया है कि यह अनुष्ठानिक कला जो घरों के आँगन या मंदिरों तक ही सीमित थी, अब आधुनिक कला और फैशन की दुनिया में पहचानी जा रही है। इसलिए, हाल के वर्षों में, आकर्षक ऐपण डिजाइनों को विभिन्न सतहों जैसे पोशाक, पेंटिंग कैनवस, डायरी, कॉफ़ी मग, बैग, ट्रे, नेमप्लेट, और अन्य वस्तुओं पर बनाया जाने लगा है। यह माना जाता है कि इन ऐपण डिजाइनों या वस्तुओं की घरों में उपस्थिति जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाती है।