बागेश्वर : बीते दिन त्रिशूल चोटी का आरोहण करने निकले नौसेना के दल के कई जवान लापता हो गए। सेना द्वारा रेस्क्यू जारी है लेकिन जवानों अभी तक जवानों का कुछ पता नहीं चल पाया है। वहीं बड़ी अपडेट ये है कि इस दल में चमोली जिले के सुतोल गांव की एक 13 साल की बच्ची काम्या भी शामिल था जो जवानों के साथ लापता है। बता दें कि पीएम मोदी काम्या को सम्मानित कर चुके हैं।
13 साल की काम्या कार्तिकेयन भी लापता
आपको बता दें कि बागेश्वर-चमोली जिले में 7120 मीटर की ऊंचाई पर माउंट त्रिशूल स्थित है जिसे फतह करने के लिए नौसेना का दल बीते दिनों निकला था। इस दल के साथ 13 साल की काम्या कार्तिकेयन भी थी जो की दल के जवानों के साथ लापता है। जानकारी मिली है कि काम्या 23 सितंबर को अपने पिता नौ सेना में कमांडर कार्तिकेयन सुंदरम और जवानों के साथ माउंट त्रिशूल फतह के लिए सुतोल गांव से निकली थी, लेकिन शुक्रवार को त्रिशूल चोटी के कैंप थ्री पर ग्लेशियर टूटने से दल के 5 जवान और एक शेरपा के लापता होने की सूचना मिली। इसमे काम्या भी शामिल है।
पीएम मोदी कर चुके हैं सम्मानित
आपको बता दें कि काम्या के साहस को देखते हुए पीएम मोदी ने उसे इस 26 जनवरी को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया था। फरवरी महीने में मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने काम्या के साहस का जिक्र किया था। काम्या चोटी पर फतह हासिल करने का सपना लिए मुंबई से पहुंची थी उसे क्या पता था कि ये हादसा हो जाएगा। काम्या का हर किसी की जुबां पर जिक्र था
बदरीनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ आशुतोष सिंह ने बताया कि मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से चार लोगों को माउंट त्रिशूल के पर्वतारोहण की अनुमति मिली थी। इनमें नौ सेना के कमांडर कार्तिकेयन सुंदरम, उनकी 13 वर्षीय बेटी काम्या कार्तिकेयन, निहार संदीप शौले और आदित्य गुप्ता शामिल थे।
काम्या ने की थी एशिया की सबसे ऊंची चोटी एकांकगुआ पर जीत हासिल
आपको बता दें कि 13 साल की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी एकांकगुआ पर जीत हासिल की। इस माउंट पर्वत पर पहुंच कर उन्होंने तिरंगा फहराया। सातवीं की छात्रा ने 6962 मीटर ऊंची इस चोटी पर 1 फरवरी को फतह हासिल की थी। बता दें कि माउंट एकांकागुआ दक्षिणी अमेरिकी के अजेर्टिंना में स्थित एंडीज पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी है।काम्या के पिता एस.कार्तिकेयन भारतीय नौसेना में कामंडर हैं जो लापता हैं और उनकी माता शिक्षक हैं।
तीन साल की उम्र में ही काम्या ने माउंटेनियरिंग का अभ्यास करना शुरू किया
तीन साल की उम्र में ही काम्या ने माउंटेनियरिंग का अभ्यास करना शुरू किया था। उस दौरान वह लोनावला में बेसिक ट्रेक पर जाती थी। इसके बाद 9 साल की उम्र में काम्या ने उत्तराखंड में कई पहाड़ों पर चढ़ाई की थी। इसके बाद दस साल की उम्र में उन्होंने नेपाल में 5346 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद एवरेस्सट बेस कैंप पर चढ़ाई की थी। बता दें कि काम्या माउंट स्टोक कांगड़ी पर पहुंचने वाली सबसे उम्र की माउंटेनियर भी रही हैं।