ओडिशा में भयावह बालासोर ट्रेन हादसे के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि बीते दिन पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मार दी जिस कारण उसके चार डिब्बे पटरी से उतरे और कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए। ऐसे में एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों में गुस्सा है और रेलवे मंत्री से पूछा जा रहा है कि कहां है सुरक्षा प्रणाली कवच जिसे लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं।
बता दें कि भारत में ट्रेन हादसों का होना अब आम सा हो गया है जो बेहद चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा यात्री रेल मार्ग से ही सफर करते हैं लेकिन ये हादसे बयां करते है कि रेलवे को उनकी सुरक्षा से कोई मलतब नहीं है क्योंकि अगर होता तो रेलवे ने बालासोर के बाद जरुर सख्त एक्शन लिया होता और बीते दिन दार्जलिंग का हादसा और जानमाल का नुकसान देखने को नहीं मिलता।
पिछले ट्रेन हादसों के कारण
बता दें कि पिछले कुछ सालों में अधिकतर हादसों में ट्रेन का पटरी से उतरना एक प्रमुख कारण रहा है। आंकड़ों की बात करें तो
2018-19 में 59 दुर्घटनाएं हुई जिनमें 46 ट्रेनों का पटरी से उतरना कारण रहा है।
ट्रेनों में आग लगने की 6 घटनाएं हुई हैं।
वहीं साल 2022-23 में 48 रेल दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 6 का कारण टक्कर थी और 36 ट्रेन की घटनाएं पटरी से उतरने के कारण हुई।
विपक्ष का रेलवे मंत्री से सीधा सवाल
ऐसे में अब विपक्ष रेलवे मंत्री से सीधा सवाल पूछ रहा है और उस वीडियो को भी निशाने में लिया जा रहा है जिसमें रेलवे मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा था कि रेलवे अगले साल 6000 किमी से ज्यादा ट्रैक को कवर करने के अपने लक्ष्य के तहत दिल्ली-गुवाहाटी मार्ग को सुरक्षा प्रणाली से लैस करने की योजना बना रहा है।पिछले कुछ सालों मे जब भी भारत में रेल दुर्घटनाएं हुई है तो हर बार कवच प्रणाली चर्चाओं में आ जाती हैं।
क्या होती है कवच प्रणाली?
बता दें कि टक्कर से बचाव के लिए तैयार की गयी कवच प्रणाली एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे भारत में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन और अन्य भारतीय फर्मों द्वारा विकसित किया गया था।
इसमें यदि कभी ड्राइवर नियत स्थान पर ब्रेक लगाने में फेल हो जाए तो कवच ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है।
पटरी पर खतरे के संकतों की पहचान करता है।
ट्रेन चालक द्वारा सिग्नल तोड़ने पर कवच एक्टिव हो जाता है।
कम विजिबिलिटी वाले क्षेत्रों में ट्रेन चलाने में मदद करता है।
मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 10 हजार किलोमीटर रूट पर कवच सिस्टम के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।
फिलहाल कवच सिस्टम 1500 किलोमीटर रूट पर ही लगा है।
इस साल 3 हजार किलोमीटर रूट पर कवच सिस्टम लग जाएगा।