Uttarakhand : जब शैलारानी रावत को हाथ पकड़ कर हरक सिंह लाए विधानसभा से बाहर, हरीश रावत सरकार की घटना, पढ़ें यहां - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

जब शैलारानी रावत को हाथ पकड़ कर हरक सिंह लाए विधानसभा से बाहर, हरीश रावत सरकार की घटना, पढ़ें यहां

Renu Upreti
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When Harak Singh brought Shailrani Rawat out of the assembly holding her hand

केदारनाथ की विधायक शैलारानी रावत का मंगलवार देर शाम 10.30 बजे निधन हो गया। देहरादून के मैक्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। बता दें शैलारानी लम्बे समय से अस्वस्थ चल रही थी। देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। इसके बाद उनकी सर्जरी हुई। पिछले दो दिन से विधायिका जिंदगी की जंग लड़ रही थी। उनकी मौत की खबर सुनने के बाद से भाजपा के साथ ही प्रदेश में भी शोक की लहर है।

जब हरक विधानसभा से हाथ पकड़ कर लाए बाहर

विधायक शैला रानी ने अपने राजीनीति सफर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। साल 2012 में वह विधानसभा पहुंची थी। हरीश रावत की सरकार के दौरान कांग्रेस में हुई बगावत के समय शैला रानी काफी चर्चाओं में रही। दरअसल, 2016 में जब हरीश रावत की सरकार से हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में 9 कांग्रेस विधायकों ने बगावत की थी, उनमे से एक शैलारानी रावत भी थी।  बजट में वोटिंग के दौरान तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत विधानसभा के अंदर से उनका हाथ थाम कर उन्हें बाहर लाये थे और उस समय ये तस्वीर काफी चर्चाओं में रही थी।

9 सीनियर विधायकों के साथ थामा बीजेपी का दामन

जिसके बाज शैलारानी रावत ने भी पार्टी के 9 सीनियर विधायकों के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया था। साल 2017 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में शैलारानी को केदारनाथ सीट से टिकट दिया था, लेकिन वह हार गई थी। इसके बाद 2022 में पार्टी ने उन्हें फिर प्रत्याशी बनाया और उन्होनें जीत भी हासिल की।

वहीं साल 2017 में चुनाव प्रचार के दौरान शैलारानी रावत गिर गई थी, जिससे उन्हें आंतरिक चोट आई थी। इससे मांस फटने के कारण उन्हें कैंसर भी हो गया था। करीब तीन साल तक इलाज के बाद वह स्वस्थ होकर अपने घर लौटी और फिर से राजनीति में सक्रिय हो गई।

9 जुलाई को ली अंतिम सांस

लेकिन कुछ महिने पहले ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ की सीढ़ियों से गिरने के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया था। परिजनों द्वारा उन्हें हायर सेंटर ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई, पर वह सफल नहीं हो पाईं। दो दिन से वह जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थीं। आखिरकार उन्होनें 9 जुलाई को अंतिम सांस ली।

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