लेह से चलकर दिल्ली पहुंचे एक्टिविस्ट Sonam Wangchuk और उनके 100 से ज्यादा साथियों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया है। इस मामले में राजनीति भी हो रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने पर सरकार पर तीखा वार किया है। वांगचुक और अन्य एक्टिविस्ट लद्दाख से नई दिल्ली तक पैदल मार्च पर निकले थे, ताकि केंद्र से लद्दाख के नेतृत्व के साथ उनकी मांगों के संबंध में बातचीत फिर से शुरु करने का आग्रह किया जा सके।
क्या है Sonam Wangchuk की मांग?
सोनम वांगचुक की प्रमुख मांगों में से एक मांग यह है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके। बता दें कि वांगचुक और लगभग 75 स्वंयसेवकों ने 1 सितंबर को अपना पैदल मार्च शुरु किया था।
क्या है संविधान की छठीं अनुसूची?
संविधान की 6वीं अनुसूची भारत के कुछ आदिवासी क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा और स्वायत्ता प्रदान करती है। यह उनकी संस्कृति को संरक्षित करने और उनके संसाधनों का प्रबंधन करने में मदद करता है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर को विभाजित कर दिया गया और लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश का दर्ज दिया गया। वांगचुक मांग कर रहे हैं कि केंद्र शासित प्रदेश के पर्यावरण की सुरक्षाके लिए ठोस कदम उठाए जाएं और लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए और संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत लाया जाए।
कई बार किया सोनम ने प्रदर्शन ?
बता दें कि अपनी मांग के समर्थन में सोनम वागंचुक ने 26-30 जनवरी तक लेह में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख परिसर में पांच दिवसीय जलवायु उपवास रखा। 31 जनवरी को लेह के पोलो ग्राउंड में एक सार्वजनिक रैली के साथ विरोध समाप्त हुआ। सैकड़ों स्थानीय लोग उनके साथ शामिल हुए। वांगचुक ने अपने भाषण में यूटी दर्जे और उपराज्यपाल द्वारा शासित होने पर नाखुशी व्यक्त की। उन्होनें तब कहा था कि, हमने सोचा था कि यह जम्मू कश्मीर का हिस्सा बनने से बेहतर होगा, क्योंकि हमारे पास एक विधायिका होगी और लोगों की इच्छा के अनुसार फैसेल लिए जाएंगे। लेकिन हमने ऐसा कुछ भी होते नहीं देखा है। पानी और नमक पर जीवित रहने के बाद उन्होनें मार्च में लेह में 21 दिनों का उपवास किया।
1 सितंबर को पैदल मार्च पर निकले
वहीं 1 सितंबर को 100 से ज्यादा समर्थकों के साथ रेमन मैग्सेस पुरस्कार से सम्मानित वांगचुक अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक पैदल मार्च पर निकले। उनका कहना है कि उनका मार्च लद्दाख और हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए है।