वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जों को लेकर शादाब शम्स ने बड़ा बयान दिया है। जिससे एक बार फिर ये मामला गरमा गया है। शादाब शम्स के बयान के बाद से चर्चाओं के बाजार गर्म हो गए हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति मामले में शादाब शम्स का बड़ा बयान
वक्फ बोर्ड की संपत्ति मामले में शादाब शम्स का बड़ा बयान सामने आया है। इस बयान के बाद से वक्फ बोर्ड की संपत्ति का मामला फिर से गरमा गया है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा है।
काफी लंबे समय से उत्तराखंड के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स वक्त बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जे का काफी समय से विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर अब उन्होंने इस्तीफे की बात भी सामने रखी है।
अवैध कब्जा ना हटने पर इस्तीफा देने की कही बात
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने पद से इस्तीफा देने की चेतावनी दी है, दरअसल बोर्ड की संपत्ति पर हो रहे अवैध कब्जों को देखते हुए शादाब शम्स ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि वह वक्त बोर्ड की संपत्ति को खाली नहीं करा पाए तो, वह पद से इस्तीफा दे देंगे।
कलियर शरीफ में 200 बीघा से ज्यादा भूमि पर है अवैध कब्जा
शादाब शम्स रुड़की कलियर शरीफ में 200 बीघा से ज्यादा भूमि पर हुए कब्जे के मामले में लगातार सरकार और शासन के स्तर पर अपनी बात रखते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले में कमजोर पैरवी के चलते उक्त भूमि पर मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा कब्जा किया गया है। जिस पर केंद्रीय कानून मंत्री से भी संबंधित मामले में पुनर्विचार की मांग रखी जायेगी। जिससे संबंधित मामले पर कोर्ट में पुनर्विचार हो सके।
मामले को कांग्रेस ने बताया गंभीर
कांग्रेस ने इस पूरे मामले को गंभीर बताया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर वक्त बोर्ड के चेयरमैन खुद इस बात को कह रहे हैं कि जब वो खुद कब्जा की हुई सरकारी जमीनों को भूमाफिया के कब्जों से छुड़वाना चाहते हैं। अगर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्हें किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है तो यह सोचनीय विषय है।
जैसा कि उन्होंने अपने इस्तीफे तक की बात कह दी है तो इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिएl लेकिन अब देखना ये होगा वक्फ बोर्ड की जमीनों को सरकार भू माफियाओं के कब्जे से कैसे निकाल पाएगी। ये भी देखने वाली बात है कि शादाब शम्स इस पूरे प्रकरण में असहज हो कर अपने इस्तीफे की मांग कर रहे हैं तो सरकार इस बात का कितना संज्ञान लेती है।
इनपुट – सुशांत सिंह