उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन के कारण सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा टूट गया। सुरंग के अंदर करीब 40 मजूदर फंसे हुए हैं। घटना के बाद शासन की ओर से आठ वैज्ञानिक संस्थाओं के विशेषज्ञों की टीम को मौके पर भेजा है।
सिलक्यारा पहुंची आठ वैज्ञानिक संस्थाओं की टीम
शासन के द्वारा सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के अध्ययन एवं कारणों की जांच के लिए निदेशक उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की अध्यक्षता में गठित समिति में शामिल विशेषज्ञों ने स्थल का निरीक्षण कर जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है। टीम की ओर से विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी। यह दल बीते दिन ही घटनास्थल पर पहुंच गया था।
सर्वेक्षण का काम हुआ शुरू
दल के द्वारा सुरंग एवं इसके ऊपर की पहाड़ी का सर्वेक्षण किया जा रहा है। विशेषज्ञों के इस दल में USDMA देहरादून के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार, वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. खइंग शिंग ल्युरई, जीएसआई के वैज्ञानिक सुनील कुमार यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक CBRI रुड़की कौशिल पंडित, उपनिदेशक भूतत्व एवं खनिजकर्म विभाग जी.डी प्रसाद और सरकार भू-वैज्ञानिक USDMA देहरादून तनड्रिला सरकार शामिल हैं।
घटना के कारणों को जानना है उद्देश्य : डॉ रंजीत
घटनास्थल पर पहुंची यह टीम विभिन्न आयामों से परीक्षण करेगी। इसके साथ ही मलबे की मिट्टी, पत्थर के नमूने लेगी। इसके साथ ही सुरंग में भूस्खलन जोन के लंबवत ठीक ऊपरी सतह पर पहाड़ की स्थिति का परीक्षण भी करेगी। जानकारी के अनुसार सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत सिन्हा ने बताया कि तकनीकी समिति को भेजने का उद्देश्य घटना के कारण को जानना है। इसके साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जाए इसका परीक्षण करना है।