महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस के बाद से उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मची हुई है। जहां एक ओर कांग्रेस किसी बड़े बदलाव की बात कह रही है तो वहीं इसी बीच सीएम धामी की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद हलचलें और तेज हो गई हैं। सियासी गलियारों में सुगबुहाट और भी तेज हो गई है।
उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ की चर्चा तेज
प्रदेश में ऑपरेशन लोटस को लेकर बीते दिन से ही चर्चाएं चल रही हैं। सीएम धामी के अमित शाह से मिलने के बाद इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस में एक और फूट डालने की तैयारी में है। जल्द ही कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
सीएम धामी और अमित शाह की मुलाकात के बाद बढ़ी हलचल
सीएम पुष्कर सिंह धामी और गृह मंत्री अमित शाह की देर रात हुई मुलाकात के बाद चर्चाओं के बाजार गर्म है। सूत्रों की मानें तो भाजपा जल्द ही उत्तराखंड में कुछ बड़ा बदलाव करने वाली है। जिससे कांग्रेस घबराई हुई है। इसी पर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का बयान भी सामने आ चुका है। जिसमें उन्होंने भी आशंका जताई है कि बीजेपी कुछ बड़ा बदलाव करने वाली है।
कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी में हो सकते हैं शामिल
गरिमा दसौनी के बयान से ये तो स्पष्ट है कि प्रदेश की राजनीति में जल्द ही कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही दसौनी ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें ये समझ नहीं आता कि वो कैसे लोग हैं जिनकी विचारधारा रातों-रात बदल जाती है।
जिसके बाद से ये अटकलें तेज हो गई हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी में जल्द ही शामिल हो सकते हैं। इतना ही नहीं अलग अलग गुटों की बैठकों की खबरें भी सामने आ रही है।
कांग्रेस की गुटबाजी का बीजेपी उठा सकती है फायदा
कांग्रेस का दावा है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों के लिए जुट गई है। तो वहीं कांग्रेस में होने वाली गुटबाजी भी किसी से छिपी नहीं है। आए दिन कांग्रेस के नेताओं में आपस में ही मतभेद देखने को मिलते हैं। सोशल मीडिया हो या कोई मंच कांग्रेस के नेता आपस में एक-दूसरे पर निशाना साधते दिखते हैं।
कांग्रेस के दो बड़े नेता हरक सिंह रावत और पूर्व सीएम हरीश रावत एक ही सीट से लोकसभा चुनावों के लिए दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में एक दूसरे पर तंज कसने का दौर भी जारी है। ऐसे में पार्टी में फूट डालना बीजेपी के लिए कोई ज्यादा कठिन काम नहीं होगा।
अगर प्रदेश में फिर से दल-बदलने की राजनीति होती है तो ये निश्चित है कि प्रदेश में बड़ा बदलाव हो सकता है। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस 2016 से कोई सबक लेती है या फिर इस बार भी बीजेपी कूटनीति में कांग्रेस को पीछे छोड़ती है।