
देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि प्रधानमंत्री चुनावी जुमलों की बारिश कर गए हैं। उत्तराखंड के जो सवाल थे उनको नजरअंदाज करना उत्तराखंड की जनता का अपमान है। उन्होंने कहा कि पहाड़ की पानी और जवानी की बात भी उनकी बेमानी है, क्योंकि युवाओं को रोजगार देने के बजाय लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है, दो करोड़ युवाओं को प्रतिवर्ष रोजगार देने का वादा भी जुमला साबित हुआ है।
हरदा सवाल किया है कि प्रधानमंत्री बताएं कि कोरोना काल में कितने युवाओं की नौकरी गई है! क्या यह सच नहीं है कि 10,000 पदों को उनकी सरकार ने मृत घोषित किया है? हमारे सैनिक, पूर्व सैनिक, सुरक्षा बलों की अनदेखी भी लगातार की है। राज्य की अर्थव्यवस्था, महंगाई व बेरोजगारी पर उनकी आश्चर्यजनक चुप्पी भी प्रधानमंत्री जी से सवाल कर रही है! भाजपा के स्वयं तीन मुख्यमंत्री भी सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए धन की मांग करते रहे हैं।
तीन मुख्यमंत्री बदल गये लेकिन सीमांत क्षेत्रों में विकास का धन आवंटित नहीं हो पाया है। भीषण आपदा से प्रभावित लगभग 400 गांवों के विस्थापन के लिए भी कोई पहल या सोच का जिक्र न कर पाना भी अचंभित करता है। अभी हाल में आई आपदा से प्रभावितों/राहत के लिये भी कुछ न कर पाना उत्तराखंड की उपेक्षा को दर्शाता है। हमारी माता और बहनों की रसोई पर आया संकट व गरीबी की थाली का निवाला कैसे पूरा होगा, यह सवाल भी अनउत्तर रह गया है।
राज्य की चौपट होती अर्थव्यवस्था पिछले 5 वर्ष में अवरूद्ध हुआ विकास के सवाल का जवाब कौन देगा? यह भी जनता को बताया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी सिर्फ चुनावी भाषण देकर चले गये, उनके द्वारा की गई घोषणाएं ऐसी हैं। जैसे बिहार में चुनाव 1,25, 000 करोड़ रुपए का पैकेज चुनाव से पूर्व देकर आए थे। 20,000 करोड का पैकेज कोविड-19 के राहत के लिए घोषित किया था जिसको जनता अभी तक ढूंढ रही है!


